Fake News की कैसे करें पहचान? COVID-19 महामारी के दौरान गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए रखें इन बातों का ख्याल
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

देश में कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) की दूसरी लहर कहर बनकर टूट रही है. यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि यह इतिहास की पहली ऐसी महामारी है, जब टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया (Social Media) का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसके इस्तेमाल से लोगों तक देश और दुनिया की खबरें पलक झपकते ही पहुंच जाती हैं. हालांकि सोशल मीडिया का दुरुपयोग भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. लोग खुद को अपडेट रखने के लिए सोशल मीडिया का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इस प्लेटफॉर्म के जरिए फेक खबरों (Fake News) और गलत जानकारियों (False Information) का प्रसार भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. खासकर कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में फेक खबरों और गलत जानकारियों का व्यापक तौर पर प्रसार किया जा रहा है.

देश में संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के साथ अस्पताल में बिस्तरों की कमी, कोविड-19 दवाओं, ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर लोग अक्सर झूठे दावों का शिकार हो रहे हैं. ऐसे में सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली फेक खबरों की पहचान कैसे करें? यह बड़ा सवाल है. हालांकि आप कुछ बातों का ख्याल रखकर कोविड-19 महामारी के दौरान गलत सूचना को फैलने से रोकने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं. यह भी पढ़ें: मुंबई: डॉक्टर ने की लोगों से मास्क पहनने की अपील, इमोशनल Video शेयर कर जाहिर की अपनी बेबसी

फेक न्यूज क्या है?

झूठी या भ्रामक सूचना को समाचार के रूप में प्रस्तुत किए जाने को फेक न्यूज कहा जाता है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज को व्यापक तौर पर शेयर किया जाता है, जिसका मकसद अक्सर किसी व्यक्ति या संस्था की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना होता है. अधिकांश लोग इसे साझा करने से पहले ऑनलाइन देखे जाने वाले सामग्री के स्रोत की जांच करने में विफल होते हैं, जिससे झूठी जानकारी फैल सकती है. इसी समय, ऐसे नकली दावों के मूल स्रोत का पता लगाना मुश्किल है, जिससे उनकी सटीकता का आंकलन करना मुश्किल है, लेकिन असंभव नहीं है. यहां गलत सूचना को पहचानने के त्वरित तरीके दिए गए हैं, ताकि आप कोविड-19 महामारी के दौरान फेक खबरों का शिकार होने से बच सकें.

कैसे करें फेक न्यूज की पहचान?

  • किसी भी चीज और हर चीज पर विश्वास करके आप फर्जी खबरों के शिकार हो सकते हैं. ऐसे में बेहतर होगा कि आप किसी भी चीज पर विश्वास करने से पहले उसकी प्रामाणिकता को जानने की कोशिश करें.
  • किसी विशेष कहानी या सोशल मीडिया पोस्ट के समग्र डिजाइन का आंकलन करें. ध्यान दें कि फेक समाचार साइटें अक्सर शौकिया दिखती हैं, कई विज्ञापन होते हैं और परिवर्तित या चोरी की गई छवियों का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा आप जो पेज पढ़ रहे हैं, उसके वेब एड्रेस की जांच करें. कई नकली वेबसाइट “.com.com” or “.lo.” के साथ समाप्त होते हैं. जो लोग फर्जी खबरें फैलाते हैं, वे कभी-कभी आधिकारिक तौर पर दिखाई देने वाले वेब पेज, समाचार पत्र मॉकअप चित्र बनाते हैं. उदाहरण के लिए अगर आपको विश्व स्वास्थ्य संगठन का कोई संदिग्ध पोस्ट दिखाई देता है तो दावे को सत्यापित करने के लिए उसकी आधिकारिक वेबसाइट देखें.
  • जब एक न्यूज स्टोरी विश्वसनीय होती है तो उसमें बहुत सारे तथ्य, विशेषज्ञों के कोट्स, सर्वे डेटा, आधिकारिक आंकड़े और अन्य शामिल होंगे. इसके अलावा अधिक विस्तृत तौर पर घटना के चश्मदीद गवाह भी होते हैं, लेकिन अगर ये सभी नदारद हैं तो फिर इस पर सवाल उठाएं.
  • फर्जी खबरों के ग्रामर, स्पेलिंग, विराम चिह्न का आंकलन करें, क्योंकि अगर किसी लेख में बहुत अधिक गलतियां हैं तो संभवत वह अविश्वसनीय हो सकता है. यह पहचानने का एक और तरीका है कि क्या असली है और क्या नकली. इसके लिए आप उसी कहानी के अन्य स्रोतों की तलाश करें. अगर आपको कोई नहीं मिल रहा है तो संभावना है कि कहानी नकली है. ऑनलाइन साझा करने से पहले दावे की पुष्टि करने के लिए आधिकारिक स्रोत की प्रतीक्षा करें.
  • लेख के टोन की जांच करें. शोध के अनुसार, फेक न्यूज को अक्सर एक दृष्टिकोण के साथ डिजाइन किया जाता है, जिसमे गुस्सा होता है या अपमानजनक दावे शामिल होते हैं. यह भी पढ़ें: Fact Check: कोरोना के कहर को देखकर मोदी सरकार करने वाली है देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान? जानिए न्यूज रिपोर्ट का सच

गौरतलब है कि फेक न्यूज की पहचान करने के लिए यह कुछ आसान व त्वरित तरीके हैं, ताकि आप महामारी के दौरान ऑनलाइन साझा किए जा रहे झूठे दावों के शिकार न हों. हम सभी एक मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं और किसी भी भ्रम के कारण लोगों में अराजकता और भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है. हालांकि फर्जी समाचारों के प्रचलन को रोकने के लिए आधिकारिक फैक्ट चेकर्स सहित कई उपाय शुरू किए गए हैं. ऐसे में हमारी भी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम किसी भी खबर को साझा करने से पहले उसका विश्लेषण करें और उसकी प्रामाणिकता की जांच करें.