Republic Day 2019: भारतीय संविधान ने दिए हैं देश के नागरिकों को ये मौलिक अधिकार, कहीं आप इनसे अंजान तो नहीं
गणतंत्र दिवस 2019 (Photo Credits: Wikimedia Commons)

Republic Day 2019: भारत एक ऐसा लोकतांत्रिक देश है जो दुनिया के सबसे बड़े संविधान के हिसाब से चलता है. भारत में 26 जनवरी 1950 को संविधान (Constitution of India) लागू किया गया गया था, इसलिए हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस (Republic Day) मनाया जाता है. इस साल भारत 70वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर ने संविधान का निर्माण किया था, इसलिए उन्हें भारत के संविधान का रचयिता कहा जाता है. भारत के सभी राज्यों के लोग इस संविधान में विश्वास रखते हैं, इसलिए यह लोकतंत्र जिंदा है. भारत के मूल संविधान में 395 अनुच्छेद (Article) और 8 अनुसूचियां (Schedules) थी, लेकिन संविधान में हुए संशोधनो के बाद अब भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं.

गणतंत्र दिवस हर हिंदुस्तानी के लिए बहुत ही खास दिन है, क्योंकि भारत के संविधान में (Constitution of India) भारत के तमाम नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) दिए गए हैं. इन अधिकारों के बारे में हर भारतीय को जानकारी होनी चाहिए.

भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकार

1- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18)

2- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)

3- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)

4- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)

5- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)

6- संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 32) यह भी पढ़ें:  Republic Day 2019: 26 जनवरी 1950 को भारत में लागू हुआ था संविधान, जानिए इसके निर्माता डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर से जुड़ी कुछ खास बातें

1- समानता का अधिकार

भारतीय संविधान के आर्टिकल 14-18 तक नागरिकों को समता या समानता का अधिकार दिया गया है. आर्टिकल 14 के अनुसार, सभी व्यक्तियों के लिए एक समान कानून है और किसी भी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से वंचिन नहीं किया जा सकता. आर्टिकल 15 में धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म-स्थान के आधार पर भारत के किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता. आर्टिकल 16 में राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति से संबंधित विषयों में सभी नागरिकों को एक समान अवसर दिए गए हैं. आर्टिकल 17 के मुताबिक, अस्पृश्यता का अंत करने के लिए इसे एक दंडनीय अपराध घोषित किया गया है. आर्टिकल 18 में सेना या विधा संबंधी सम्मान के सिवाए अन्य कोई भी उपाधि राज्य द्वारा प्रदान नहीं की जाएगी.

2- स्वतंत्रता का अधिकार

आर्टिकल 19 से 22 के तहत देश के हर नागरिक को स्वतंत्रता का अधिकार है. इसमें बोलने, विचार रखने, आवागमन, निवास (जम्मू-काश्मीर में नहीं), कोई भी व्यापार करने की स्वतंत्रता शामिल है. इसके अतिरिक्त नागरिकों को संघ बनाने, शांतिपूर्ण तरीके से सभा करने का अधिकार प्राप्त है. आर्टिकल 21 के तहत प्राण, दैहिक स्वतंत्रता के संरक्षण और निजता का अधिकार भी मिला हुआ है. आर्टिकल 22 में कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध में संरक्षण का अधिकार प्राप्त है. यह भी पढ़ें: Republic Day 2019: इस शख्स की वजह से भारत को मिला 'तिरंगा', जानिए राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ी 10 रोचक बातें

3- शोषण के विरुद्ध अधिकार

भारतीय संविधान के आर्टिकल 23 से 24 में नागरिकों को शोषण के विरुद्ध अधिकार दिया गया है. जिसके मुताबिक, कोई भी भारतीय नागरिक किसी भी नागरिक का शोषण नहीं कर सकता. अगर किसी से कोई काम लिया गया है तो उसका मेहनताना देना आवश्यक है. इसके अलावा जाति-धर्म के नाम पर किसी का शोषण नहीं किया जा सकता और आर्टिकल 24 के तहत 14 वर्ष से कम उम्र वाले किसी भी बच्चे को कारखानों या अन्य किसी जोखिम भरे काम पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है.

4- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

संविधान के आर्टिकल 25 से 28 के बीच धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है. आर्टिकल 25 के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म में जा सकता है. आर्टिकल 26 में हर नागरिक को धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता दी गई है. आर्टिकल 27 में राज्य किसी भी व्यक्ति को ऐसे कर देने के लिए विवश नहीं कर सकता, जिसकी आय किसी विशेष धर्म या धार्मिक संप्रदाय की उन्नति में व्यय करने के लिए विशेष रुप से निश्चित कर दी गई है. आर्टिकल 28 के मुताबिक किसी शिक्षा संस्था में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी. ऐसे शिक्षण संस्थान अपने छात्रों को किसी धार्मिक अनुष्ठान में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकते.

5- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार

आर्टिकल 29-30 में हमें संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार मिले हैं. आर्टिकल 29 के अनुसार, भारत के हर नागरिक को यह अधिकार प्राप्त है कि वह अपनी संस्कृति को बचाने के लिए भारत के किसी भी क्षेत्र में अपनी भाषा लिपि लिख और बोल सकते हैं. केवल भाषा, जाति, धर्म और संस्कृति के आधार पर उसे किसी भी सरकारी शैक्षिक संस्था में प्रवेश से नहीं रोका जाएगा. आर्टिकल 30 के अनुसार, कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपनी पसंद की शैक्षणिक संस्था चला सकता है और सरकार उसे अनुदान देने में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करेगी. यह भी पढ़ें: Republic Day 2019: आजादी से पहले 26 जनवरी को मनाया जाता था स्वतंत्रता दिवस, जानें क्यों भारत के हर नागरिक के लिए बेहद खास है यह दिन?

6- संवैधानिक उपचारों का अधिकार

आर्टिकल 32 के तहत संवैधानिक उपचारों का अधिकार भारत के नागरिकों को प्राप्त है. यह हमारे मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है. इसी आर्टिकल में सुप्रीम कोर्ट को भी कई अधिकार दिए गए हैं. भारत के संविधान में दिए गए इन मौलिक अधिकारों के द्वारा ही भारत के नागरिकों का दैनिक जीवन चलता है. 'संवैधानिक उपचारों के अधिकार' को डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान की आत्मा कहा गया है.

गौरतलब है कि यह सभी अधिकार भारत के संविधान ने देश के हर नागरिक को दिए हैं. ऐसे में अगर आप इनमें से किसी भी अधिकार से वंचित हैं तो उसके खिलाफ आवाज उठा सकते हैं और भारत का कानून इसमें आपकी मदद करेगा.