आधुनिक लाइफस्टाइल और गलत खानपान के चलते अधिकांश लोग मोटापे की गिरफ्त में आ रहे हैं. दरअसल, मोटापा कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है, यहां तक कि यह इनफर्टिलिटी का कारण भी बन सकता है. इसलिए इसे कंट्रोल करना बेहद जरूरी है. मोटापे से सेहत पर पड़ने वाले साइडइफेक्ट्स को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हर साल 11 अक्टूबर को विश्व मोटापा दिवस मनाया जाता है. चलिए इस खास मौके पर हम आपको बताते हैं कि किस तरह से मोटापा महिलाओं के मां बनने की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है.
दरअसल, मोटापे से पीड़ित या ओवरवेट महिलाओं को गर्भधारण में संतुलित वजन वाली महिलाओं के मुकाबले एक साल से अधिक का समय लग सकता है. मोटापे से पीड़ित महिलाओं में गर्भपात की आशंका भी दोगुनी से अधिक रहती है. फर्टिलिटी साल्यूशंस, मेडिकवर फर्टिलिटी की क्लीनिकल डायरेक्टर और सीनियर कंसल्टेंट डॉ. श्वेता गुप्ता के मुताबिक, अधिक वजन या मोटापे से पीड़ित महिलाओं में गर्भधारण की संभावनाएं अपेक्षाकृत कम रहती हैं.
शोध बताते हैं कि मोटापा मुख्य कारण तो नहीं है, लेकिन इनफर्टिलिटी (नि:संतानता) का महत्वपूर्ण कारण जरूर है. मोटापे के कारण एंड्रोजन, इंसुलिन जैसे हार्मोन का अत्यधिक निर्माण जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं या अंडोत्सर्जन तथा शुक्राणु के लिए नुकसानदेह प्रतिरोधी हार्मोन बनते हैं, लिहाजा हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं. इससे न सिर्फ आपकी प्रजनन क्षमता बढ़ेगी, बल्कि आप फिट भी रह सकती हैं. यह भी पढ़ें: World Mental Health Day: मानसिक तौर पर रहना है फिट तो अभी से अपना लीजिए ये आदतें
धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशियल्टी हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के डॉ. गौरव जैन के मुताबिक, मोटापे के कारण आपके शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान होता है. मोटापे से पीड़ित व्यक्तियों में टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर, हृदयरोग और यहां तक कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी उभर सकती हैं. हैरत की बात तो यह है कि आज युवाओं में मोटापे के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं.
आज एक ही जगह पर लंबे समय तक बैठ कर लगातार वेब सीरीज देखते रहना युवाओं में एक नया चलन बन गया है और इस वजह से भी बचपन से ही लोग मोटापे का शिकार हो जाते हैं. हाल ही में एक अध्ययन बताता है कि अस्थमा से पीड़ित बच्चों में मोटापे का शिकार होने की संभावना अधिक रहती है, क्योंकि अपनी सेहत स्थिति के कारण वे व्यायाम करने से दूर भागते हैं और इनहेलर के तौर पर स्टेरॉयड लेने से उनकी भूख बढ़ती जाती है. इसलिए लोगों को सलाह दी जाती है वे हेल्दी डायट लें, अपने बीएमआई को संतुलित रखें और अपने लाइफस्टाइल में शारीरिक कसरत जैसी गतिविधियों को शामिल करें.
बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के सीनियर कंसल्टेंट, गैस्ट्रोइंट्रोलोजिस्ट डॉ. जी.एस. लांबा के मुताबिक, यदि आप तनाव में रहते हैं तो आप मोटापे का शिकार हो सकते हैं. तनाव कई तरीके से वजन बढ़ाने में अपना योगदान देता है. तनाव की वजह से हमारे शरीर में कई हार्मोन पैदा होते हैं, जिनमें कोर्टिसोल भी एक है. यह हार्मोन फैट स्टोरेज और शरीर की ऊर्जा खपत प्रबंधित करने का काम करता है. कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने से भूख भी बढ़ जाती है, इस वजह से मीठा और वसायुक्त भोजन खाने की इच्छा बढ़ जाती है. यह भी पढ़ें: खूब खाइए और वजन घटाइए, जानें कैसे बिना डायट के आप कर सकते हैं वेट लॉस
उन्होंने कहा कि गंभीर तनाव की स्थिति में वसा के रूप में शरीर में ऊर्जा इकट्ठा होने लगती है और यह हमारे पेट को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है. मोटापे के कारण हृदय रोग, डायबिटीज, ओस्टियो-अर्थराइटिस जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं. इन सभी बीमारियों का रिस्क फैक्टर कम करने के लिए आपको रोजाना कम से कम एक घंटे तक कुछ शारीरिक व्यायाम करना चाहिए और डायट में हेल्दी चीजों को शामिल करना चाहिए.