
Appendix Cancer: अब तक जब हम कैंसर की बात करते थे, तो ब्रेस्ट, कोलन, पेट या पैंक्रियाज कैंसर जैसे नाम सामने आते थे. लेकिन हाल ही में एक चौंकाने वाली स्टडी में खुलासा हुआ है कि अमेरिका में युवा पीढ़ी खासकर मिलेनियल्स और जेनरेशन Z में अब एपेंडिक्स कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर द्वारा की गई इस स्टडी में पाया गया कि एपेंडीसियल एडेनोकार्सिनोमा (Appendiceal Adenocarcinoma) नामक कैंसर अब पहले की तुलना में तीन से चार गुना ज्यादा मिलेनियल्स को प्रभावित कर रहा है.
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क्या है एपेंडिक्स कैंसर?
एपेंडिक्स यानी अपेंडिक्स बड़ी आंत से जुड़ा एक छोटा सा थैला होता है, जिसे लंबे समय तक शरीर में बेकार माना गया. लेकिन अब यह स्पष्ट हो रहा है कि इसमें कैंसर विकसित हो सकता है और यह किसी भी उम्र में हो सकता है. इस स्टडी के मुताबिक, 1980 और 1985 में जन्मे लोगों में एपेंडिक्स कैंसर (Appendix Cancer) का खतरा 1945 में जन्मे लोगों की तुलना में तीन से चार गुना अधिक है. इससे साफ है कि नई पीढ़ियों की जीवनशैली या पर्यावरणीय बदलावों ने शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है.
एपेंडिक्स कैंसर बढ़ने की वजह क्या है?
डॉक्टरों का मानना है कि एपेंडिक्स कैंसर अभी भी दुर्लभ है, लेकिन इसके मामलों में आई तेजी अनदेखी नहीं की जा सकती. यह समस्या किसी एक कारण से नहीं, बल्कि कई कारणों के मेल से हो सकती है जैसे:
- अस्वस्थ खानपान, जंक फूड और प्रोसेस्ड भोजन का अधिक सेवन.
- वजन बढ़ना और मोटापा.
- गट माइक्रोबायोम (आंत में रहने वाले बैक्टीरिया) में बदलाव.
- केमिकल्स और प्रदूषण के संपर्क में आना.
- बैठे-बैठे बिताया गया जीवन और शारीरिक गतिविधि की कमी.
चौंकाने वाली बात यह है कि एपेंडिक्स हटाने की सर्जरी (Appendectomy) की दर वर्षों से समान है, यानी कैंसर का पता अब ज्यादा सर्जरी के कारण नहीं चल रहा, बल्कि ये वाकई ज्यादा हो रहे हैं.
भारत के युवाओं के लिए क्यों है यह चेतावनी?
हालांकि यह अध्ययन अमेरिका पर आधारित है, लेकिन इसका असर भारत जैसे देशों पर भी पड़ सकता है. भारत में भी अब कई ऐसे कैंसर जो पहले 50 साल से ऊपर की उम्र में होते थे अब युवाओं में देखे जा रहे हैं.
देर तक बैठना, व्यायाम की कमी, तैलीय, चीनी से भरपूर और प्रोसेस्ड भोजन, प्रदूषण और पर्यावरणीय विषैले तत्वों से संपर्क और सबसे अहम स्वास्थ्य जांच की अनदेखी. यह सभी वजहें भारत के युवाओं को भी जोखिम में डाल रही हैं. चूंकि एपेंडिक्स कैंसर के बारे में जागरूकता बहुत कम है, इसलिए इसके लक्षणों को अक्सर पाचन से जुड़ी हल्की समस्याओं की तरह नजरअंदाज कर दिया जाता है.
कौन से लक्षण नजरअंदाज नहीं करने चाहिए?
- बिना वजह पेट में सूजन या दर्द.
- लंबे समय तक कब्ज या दस्त.
- भूख में कमी.
- वजन कम होना.
- बार-बार मतली या उल्टी.
क्या करना चाहिए?
- सक्रिय जीवनशैली अपनाएं: रोजाना कम से कम 30 मिनट चलें या कोई व्यायाम करें.
- संतुलित आहार लें: जंक फूड की बजाय ताजे फल, सब्जियां, फाइबर युक्त भोजन खाएं.
- स्मार्ट स्क्रीनिंग की आदत डालें: 30 की उम्र के बाद नियमित रूप से चेकअप करवाएं.
- अपने शरीर की बात सुनें: अगर कोई लक्षण लंबे समय तक बना रहे, तो डॉक्टर से जरूर मिलें.
युवा भी अब सुरक्षित नहीं
एपेंडिक्स कैंसर अभी भी दुर्लभ है, लेकिन इसके बढ़ते मामले नई चेतावनी लेकर आए हैं. यह दिखाता है कि अब कैंसर सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं रही. बदलती जीवनशैली, खानपान और पर्यावरण का असर अब युवाओं पर भी पड़ रहा है. जानकारी, सतर्कता और हेल्दी जीवनशैली ही हमारी सबसे बड़ी ढाल है.