Diwali 2019 Govardhan Puja: इंद्र का घमण्ड तोड़ने के लिए शुरू हुई गोवर्धन पूजा की परंपरा, जानें पर्यावरण से जुड़े इस पर्व की खासियत!
गोवर्धन यानी अन्नकूट पूजा को ब्रज नगरी में धूमधाम से मनाया जाता है. इस अवसर पर एक-दूसरे को बधाइयां दी जाती हैं. (Photo Credits: File Image)

Happy Govardhan Puja 2019: सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. यह पर्व प्रत्यक्ष रूप से प्रकृति एवं पर्यावरण से जुड़ा है. इसी दिन अन्नकूट का पर्व भी मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास में शुक्लपक्ष की प्रतिपदा यानी दीपावली के अगले दिन संपूर्ण भारत में गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट का पर्व सेलीब्रेट किया जाता है. यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण से संबद्ध है, इसलिए इस दिन मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल एवं बरसाने में गोवर्धन पूजा की भव्यता, दिव्यता एवं धूम देखते बनती है. इस दिन हर साल देश-दुनिया से लाखों श्रद्धालु गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के लिए पहुंचते हैं.

मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों को इंद्र के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए प्रेरित किया था, इसके पीछे मुख्य वजह थी देवराज इंद्र के अहंकार को समाप्त करना. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 28 अक्टूबर को पड़ रहा है गोवर्धन पूजा. आइये जानें क्या है इस पर्व की महत्ता...

गोवर्धन पूजा की विधियां

गोवर्धन पूजा का भारतीय समाज में बड़ा महत्व है. वेद एवं पुराणों के अनुसार इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि आदि देवताओं की पूजा की जाती है. इस दिन गोवर्धन पर्वत, के साथ-साथ गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व माना गया है. इस पर्व में यह संदेश निहित है कि हमारा जीवन पूरी तरह से प्रकृति प्रदत्त संसाधनों पर निर्भर है, इसलिए प्रकृति को धन्यवाद देते हुए इन संसाधनों के प्रति सम्मान की भावना रखनी चाहिए.

ऐसे करें गोवर्धन पूजा

कार्तिक मास की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा के दिन प्रातःकाल उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर गोवर्धन पूजा का संकल्प लेते हैं और पूजा होने तक उपवास रखा जाता है. इसके पश्चात शुभ मुहूर्त पर घर के आंगन को गोबर से लीपकर शुद्ध करना चाहिए. चौक के बीच में गोबर से गोवर्धन बनाकर (एक लेटे हुए पुरुष के रूप में) उसे फूलों से सजाएं. यह पूजा शुभ मुहूर्त के अनुसार प्रातःकाल अथवा सायंकाल के समय करें. इनकी नाभि पर एक मिट्टी का दीपक रखें. इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे रखें. अब धूप-दीप प्रज्जवलित करें, एवं जल अर्पित करें. मौसमी फल एवं प्रसाद चढ़ाएं. पूजा के पश्चात हाथ में लोटे से जल गिराते और जौ बोते हुए गोवर्धन जी के चारों सात बार परिक्रमा करें. इसके बाद गोवर्धन पर चढे प्रसाद को वितरित कर देना चाहिए. इस दिन गाय एवं बैल की भी पूजा का प्रावधान है. मान्यता है कि गोवर्धन पूजा धन की वृद्धि एवं संतान की सुरक्षा होती है.

पौराणिक कथा

विष्णु पुराण के अनुसार एक बार स्वर्गलोक के अधिपति देवराज इंद्र को अपनी शक्तियों पर घमंड हो जाता है. वह चाहते हैं कि उन्हें सर्वशक्तिमान मानते हुए सारी दुनिया उन्हीं की पूजा-अर्चना करे. भगवान श्री कृष्ण इंद्र के घमंड को खत्म करने के लिए एक लीला रचते हैं. एक बार गोकुलवासियों के घर विभिन्न पकवान बनते देख बालकृष्ण अपनी माँ यशोदा से इसकी वजह पूछते हैं तो यशोदा बताती हैं कि हम सभी लोग देवराज इंद्र की पूजा की तैयारियां कर रहे हैं. कृष्ण पुनः पूछते हैं कि हम इंद्र की पूजा क्यों करते हैं. यशोदा मां बताती हैं कि इंद्र देव की कृपा से ही हर वर्ष अच्छी बारिश होती है, जिससे खेती अच्छी होती है. हमारी गायों को ताजा चारा मिलता है. इस पर श्रीकृष्ण कहते हैं, तब तो हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि हमारी गायें वहीं चरती हैं, बारिश भी वहां लगे पेड़-पौधों के कारण होती है. कृष्ण के समझाने पर गोकुलवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं. यह देख देवराज इंद्र क्रोधित होकर गोकुल में प्रलयंकारी वर्षा करवा देते हैं. इस पर गोकुलवासी घबरा जाते हैं. तब श्रीकृष्ण अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर उसके नीचे सभी गोकुलवासियों को बुला लेते हैं. यह देखकर इंद्र बारिश का वेग और तेज कर देते हैं. लेकिन 7 दिन मूसलाधार बारिश होने के बावजूद गोकुलवासियों को कोई नुकसान नहीं होता. तब इंद्र इंद्र को ज्ञान होता है कि वह भगवान विष्णु अवतरित भगवान श्री कृष्ण से मुकाबला कर रहे हैं. तब देवराज इंद्र गोकुल में प्रकट होकर भगवान श्री कृष्ण से क्षमा याचना करते हैं. मान्यता है कि इसके बाद से गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई.

गोवर्धन पूजा का मुहूर्तः 28 अक्टूबर 2019

अपराह्न मुहूर्तः दोपहर 03.25 से 05.39 मिनट तक

गोवर्धन पूजा के ही दिन मंदिरों में अन्न कूट का आयोजन भी किया जाता है. इस दिन तमाम अन्न को मिलाकर उसके मिश्रण को भोग के रूप में श्रीकृष्ण को चढ़ाते हैं. इसके साथ ही दूध से बने मिष्ठान एवं स्वादिष्ट पकवान भी श्रीकृष्ण को चढ़ाया जाता है. पूजन के पश्चात इन पकवानों को प्रसाद के रूप में सभी श्रद्धालुओं में वितरित कर दिया जाता है. इसके साथ ही श्रीकृष्ण के मंदिरों रात्रि जागरण कर उनका कीर्तन भजन किया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से उनका जीवन खुशहाल बनता है.