Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti 2023:'क्रांति मंदिर' एक ऐसी जगह है जहां हम अपने इतिहास को जीवंत रूप में देख सकते हैं. प्रधानमंत्री ने नेताजी की 122वीं जयंती पर लाल किले के अंदर बने सभी चारों बैरक संग्रहालयों के रूप में क्रांति मंदिर का उद्घाटन किया था. इसी भवन में भारत के महान वीर सपूत और आजाद हिंद फौज के कर्नल प्रेम सहगल और कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लों और मेजर जनलर शाहनवाज खान पर औपनिवेशिक शासकों ने मुकदमा चलाया था.
लाल किले के अंदर चारों बैरक संग्रहालयों के रूप में 'क्रांति मंदिर' बने
दिल्ली के लाल किले में बने सभी चारों बैरक संग्रहालयों के रूप में क्रांति मंदिर में तब्दील हो चुके हैं. क्रांति मंदिर देश की आजादी के लिए किए गए संघर्षों की ऐसी गाथा को कहता है जिसमें 1857 की क्रांति से लेकर आजाद भारत तक के इतिहास को एक जगह पर संजोकर रखा गया है. इसी क्रम में महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की क्रांति की यात्रा को विस्तार से वर्णित किया गया है, जिसे दृष्य, चित्र और कहानियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है. यह भी पढ़ें :
औपनिवेशिक शासकों ने बैरकों में आईएनए के जाबाजों पर चलाया था मुकदमा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में पहली बार आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर 21 अक्टूबर को लाल किले पर झंडा फहराया था. पीएम मोदी ने पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पूरी यात्रा को एक संग्रहालय में बदलने की घोषणा की और बाद में नेताजी सुभाष संग्राहलय सहित भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति से जुड़े चार संग्रहालयों का विधिवत उद्घाटन किया. इसी भवन में भारत के बहादुर सपूत और आजाद हिंद फौज के कर्नल प्रेम सहगल, कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लों और मेजर जनलर शाहनवाज खान पर औपनिवेशिक शासकों ने मुकदमा चलाया था. प्रदर्शनी में सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज के इतिहास की विस्तृत जानकारी प्रदान करने वाली तस्वीरों को भी देखा जा सकता है. साथ ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज से जुड़ी बेशकीमती चीजें भी यहां पर मौजूद हैं. इनमें नेताजी द्वारा इस्तेमाल की गई लकड़ी की कुर्सी, तलवार, पदक, बैच और आजाद हिंद फौज की वर्दी शामिल हैं.
संग्रहालय में नेताजी के जीवन के संघर्ष की गाथा
फिल्मों के जरिए यहां नेताजी के जीवन के संघर्षों का यहां जीवंत रूप में महसूस किया जा सकता है कि कैसे 1943 में आजाद हिंद फौज की स्थापना के बाद उनकी सेना ने अंडमान निकोबार द्वीप को आजाद कराया था और उसका नाम "शहीद" और "स्वराज" रखा था. इसके बाद आजाद हिंद फौज ने मणिपुर के मोरेंग पर कब्जा कर पहली सरकार बनाई. यानी क्रांति मंदिर एक ऐसी जगह है जहां हम अपने इतिहास को जीवंत रूप में देख सकते हैं.