उत्तर प्रदेश: डीजीपी ओपी सिंह का दावा, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ पुख्ता सबूत, अब तक 25 सदस्य गिरफ्तार
यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ( फोटो क्रेडिट- ANI)

लखनऊ:- 1 जनवरी को यूपी पुलिस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front Of India) के 25 सदस्यों को गिरफ्तार किया था. जिसके बाद शुक्रवार शुक्रवार को यूपी के डीजीपी ओपी सिंह (UP DGP OP Singh) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हमने जिन 25 लोगों को गिरफ्तार किया है उनके खिलाफ हमारे पास सबूत है. हिंसा में पीएफआई की भूमिका सामने आई है और प्रदर्शनकारियों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बता दें कि उत्तर प्रदेश की पुलिस ने गृह विभाग को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों में हिंसा के बाद पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद समेत तीन सदस्यों को लखनऊ में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद से ही इस संगठन का यूपी में नेटवर्क खंगाला जा रहा था.

उधर, योगी सरकार में मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि पीएफआई बिल्कुल सिमी का दूसरा रूप है. इस संगठन ने केरल के बाद यूपी में पैर फैलाने शुरू किए हैं. सिमी पर प्रतिबंध लगने के बाद पीएफआई नाम का नया संगठन बनाया गया जो युवाओं को आतंकवाद की तरफ मोड़ रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह संगठन युवाओं को कट्टरपंथी बनाकर उन्हें आतंकवाद के रास्ते पर भेजना चाहता है. यह भी पढ़ें:- नागरिकता संशोधन कानून: उत्तर प्रदेश में आगजनी और तोड़फोड़ को लेकर एक्शन में सरकार, भेज रही है वसूली के नोटिस.

गौरतलब हो कि उत्तर प्रदेश के करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. इस दौरान आगजनी, तोड़फोड़ कर सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया था. सरकार के निर्देश पर नौ जनपदों के डीएम ने क्षतिपूर्ति के लिए 498 लोगों पहचान की गई थी. सरकार की ओर से जारी बयान के अनुसार, लखनऊ में 82, मेरठ में 148, संभल में 26, रामपुर में 79, फिरोजाबाद में 13, कानपुर नगर में 50, मुजफ्फरनगर में 73, मऊ में 08, बुलंदशहर में 19 लोगों को रिकवरी के लिए चिन्हित किया गया है. 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में लखनऊ के तीन थाना इलाकों में प्रदर्शन हुए थे। इस दौरान दो पुलिस चौकियों समेत कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था.