दक्षिण अफ्रीका दौरा रोक वतन लौटेंगे जेलेंस्की
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की अपना दक्षिण अफ्रीका दौरा बीच में रद्द कर देश लौट रहे हैं. रूसी हमले और डॉनल्ड ट्रंप की नई संघर्ष विराम डील ने जेलेंस्की को मुश्किल में डाल दिया है.यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की इस वक्त कई मुश्किलों से जूझ रहे हैं. एक तरफ रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर बड़ा हमला किया है. दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप, जेलेंस्की पर आरोप लगा रहे हैं कि वह रूस के साथ शांति की कोशिशों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. यह सब उस वक्त हो रहा है जब खुद जेलेंस्की दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर हैं. दक्षिण अफ्रीका, ब्रिक्स का अहम सदस्य है.

गुरुवार को अपनी टेलीग्राम पोस्ट में यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा कि वह दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा से मुलाकात करके यूक्रेन लौट आएंगे. जेलेंस्की के इस बयान से पहले यूक्रेनी अधिकारियों ने बताया कि रूस ने बुधवार रात राजधानी कीव और खारकीव में मिसाइलों और ड्रोनों से बड़ा हमला किया है. दोनों शहरों में संपत्ति और आधारभूत ढांचे को काफी नुकसान पहुंचा है. यूक्रेन की सरकारी इमरजेंसी सेवा के टेलीग्राम चैनल के मुताबिक, "रूस ने कीव पर बड़ा संयुक्त हमला किया है. शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक नौ लोगों की मौत हुई और 63 घायल हुए हैं."

इस हमले से ठीक पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने आरोप लगाया कि रूस शांति समझौते के लिए तैयार दिख रहा है, लेकिन जेलेंस्की ही इसमें आनाकानी कर रहे हैं. व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए ट्रंप ने कहा, "मुझे लगता था कि जेलेंस्की के साथ डील करना आसान होगा. लेकिन अब तक यह काफी कठिन साबित हो रहा है."

राष्ट्रपति बनने से पहले चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप बार बार कह रहे थे कि वह यूक्रेन युद्ध 24 घंटे में रुकवा देंगे. लेकिन अब उन्हें पद संभाले हुए करीब तीन महीने हो चुके हैं और तीन साल से चल रहा यूक्रेन युद्ध अब भी जारी है. बुधवार को ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल में लिखा कि, जेलेंस्की "इस युद्ध को निपटाने" के प्रयासों को मुश्किल बना रहे हैं."

ट्रंप की डील से क्यों घबरा रहा है यूक्रेन

अमेरिकी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक, अमेरिका के शांति प्रस्ताव में क्रीमिया प्रायद्वीप पर रूस के नियंत्रण को स्वीकार किया गया है. रूस ने 2014 में सैन्य कार्रवाई कर यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया था. तब से क्रीमिया में रूसी सेना तैनात है. कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ट्रंप के शांति प्रस्ताव में रूस की सभी मांगें मानी गई है. रूस की इन मांगों में यूक्रेन को कभी नाटो में शामिल न करना और रूस के नियंत्रण में आए पूर्वी यूक्रेन के सभी इलाकों को मॉस्को का हिस्सा मानने जैसी शर्तें शामिल हैं.

ओवल ऑफिस में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ट्रंप ने क्रीमिया से जुड़े सवाल का जवाब नहीं दिया. अमेरिकी राष्ट्रपति बार बार कहत रहे कि वे इस युद्ध को खत्म कराना चाहते हैं और रूस और यूक्रेन में से कोई भी उनका चहेता नहीं है.

ट्रंप के इन बयानों से कुछ घंटे पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने कहा कि राष्ट्रपति काफी खीझ में हैं और उनका सब्र जवाब दे रहा है, "वह मौतें बंद होते देखना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए युद्ध में शामिल दोनों पक्षों को तैयार होना होगा, और दुर्भाग्य से ऐसा लगता है जैसे राष्ट्रपति जेलेंस्की गलत दिशा में जा रहे हैं."

जेलेंस्की ने याद दिलाया 2018 का अमेरिकी वादा

यूक्रेनी राष्ट्रपति को लगता है कि अमेरिका, क्रीमिया को लेकर डॉनल्ड ट्रंप के पहले राष्ट्रपति कार्यकाल में किया गया वादा नहीं भूलेगा. 2018 में ट्रंप प्रशासन ने वादा किया था अमेरिका क्रीमिया को रूस के हिस्से के तौर पर मान्यता नहीं देगा.

जेलेंस्की का यह बयान अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस के प्रस्ताव के बाद आया. वैंस के मुताबिक, शांति समझौते के तहत यूक्रेन में रूसी कब्जे में आ चुके इलाकों को मॉस्को ही रखे तो यह अमेरिका का नजरिया है.

क्रीमिया को लेकर जेलेंस्की पहले ही पत्रकारों से कह चुके हैं कि, "वह यूक्रेन का इलाका था, है और रहेगा." उसे रूसी इलाका मानना "हमारे संविधान के विरुद्ध है."

प्रस्तावित समझौते की शर्तों से जुड़ी खबरें सामने आने के बाद बुधवार को यूक्रेन की उप प्रधानमंत्री यूलिया स्विरीडेंको ने भी कहा कि उनका देश समझौते से जुड़ी बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन आत्मसमर्पण के लिए नहीं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर डिप्टी पीएम ने लिखा, "हमारे लोग शांति की आड़ में छुपे बर्फ में जमे विवाद को स्वीकार नहीं करेंगे."

ओएसजे/एए (एपी, एएफपी, डीपीए)

img