बिहार (Bihar) में सत्तारूढ़ एनडीए (NDA) में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. सूबे में आई बाढ़ और राजधानी पटना (Patna) में हुए भीषण जलजमाव के मुद्दे पर बीजेपी और जेडीयू (BJP and JDU) नेताओं की तरफ से की गई बयानबाजी से साफ झलकता है कि दोनों पार्टियों के रिश्ते में खटास आ गई है. इसकी एक बानगी पटना में आयोजित रावण वध कार्यक्रम के दौरान भी देखने को मिली जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के साथ बीजेपी के किसी भी नेता ने मंच साझा नहीं किया. दरअसल, निमंत्रण के बावजूद बीजेपी का कोई भी नेता उस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ.
उधर, केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह भी लगातार नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं. ज्ञात हो कि बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है. अगर बीजेपी-जेडीयू के बीच लड़ाई इसी तरह जारी रही तो संभव है कि जेडीयू एनडीए गठबंधन से बाहर आ जाए. बीजेपी से अलग होने के बाद जेडीयू के पास दो विकल्प होंगे. यह भी पढ़ें- बिहार NDA में रार पर तेजस्वी आक्रामक, सुशील मोदी से कहा- आपके कप्तान को आप ही के लोग आउट कर रहे हैं, आप गुनाहगारों की तरह क्यों छुप रहे हो.
पहले विकल्प के तौर पर जेडीयू फिर से महागठबंधन में वापसी कर सकती है. हालांकि यह इतना आसान नहीं होगा क्योंकि महागठबंधन का नेतृत्व कर रही राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव ने साफ तौर पर कह दिया है कि नीतीश कुमार के लिए हमारे दरवाजे बंद हो चुके हैं. हालांकि, तेजस्वी को मनाने का काम कांग्रेस कर सकती है और संभवत: वह नीतीश को अपनाने के लिए तैयार भी हो जाएं क्योंकि आरजेडी की स्थिति फिलहाल ठीक नहीं है. 2019 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी एक भी सीट नहीं जीत पाई.
महागठबंधन में अगर नीतीश कुमार की वापसी होती है तो पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) वहां से खुद-ब-खुद बाहर आ जाएगी क्योंकि नीतीश और उपेंद्र के रिश्ते बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं. बता दें कि महागठबंधन में अभी आरजेडी के अलावा कांग्रेस, आरएलएसपी, पूर्व सीएम जीतनराम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM), शरद यादव की लोकतांत्रिक जनता दल और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) शामिल है. यह भी पढ़ें- पटना: रावण वध कार्यक्रम में नीतीश कुमार के साथ नहीं दिखा बीजेपी का कोई नेता, कांग्रेस के मदनमोहन झा आए नजर, NDA गटबंधन टूटने की अटकलें तेज.
दूसरे विकल्प की बात करें तो अगर तेजस्वी महागठबंधन में नीतीश कुमार की वापसी को लेकर राजी नहीं होते तो जेडीयू को अन्य सहयोगियों का साथ मिल सकता है. इस स्थिति में शायद कांग्रेस नीतीश कुमार के साथ आ जाए और ऐसा नहीं हुआ तो कम से कम जीतनराम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा जेडीयू के साथ आ जाएगी. इसके अलावा मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी और पूर्व सांसद पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी भी जेडीयू के साथ आ सकती है.