भारत-उज्बेकिस्तान ने रिश्तों को प्रगाढ़ करने के लिए 17 समझौतों पर हस्ताक्षर किए
पीएम मोदी और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव (Photo Credit: Twitter)

नई दिल्ली: भारत के दो दिवसीय यात्रा पर आए उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के साथ शिष्‍टमंडल स्‍तर की वार्ता की. इस दौरान दोनों शीर्ष नेताओं ने भारत और उज्बेकिस्तान के बीच संबधों को और भी प्रगाढ़ बनाने के लिए सुरक्षा, पर्यटन और स्वास्थ्य समेत 17 समझौतों पर हस्ताक्षर किए.

सयुंक्त प्रेस वार्ता में पीएम मोदी और राष्ट्रपति शावकत ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को व्यापक बनाने पर सहमति व्यक्त की. इस मौके पर 17 समझौतों पर हस्ताक्षर किए जिसमें राजनयिक पासपोर्ट धारकों को वीजा मुक्त यात्रा के अलावा पर्यटन, राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनयिकों को प्रशिक्षण और तस्करी जैसे क्षेत्रों में सहयोग शामिल हैं. इसके अलावा सैन्य शिक्षा, कृषि क्षेत्र में गठजोड़ के अलावा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विज्ञान में सहयोग पर बात बनी. इसके साथ ही फर्मा क्षेत्र में सहयोग, तस्कारी एवं मादक पदार्थो से मुकाबला करने के लिए सहयोग पर भी सहमति जताई गई.

इससे पहले राष्ट्रपति शावकत का आज राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत और उज्बेकिस्तान के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे है और दोनों देशों के लोगों के दिलों में एक-दूसरे के प्रति विशेष स्थान रहा है. उनकी यह पहली भारत यात्रा है. राष्ट्रपति शावकत आज राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द और उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू से भी मुलाकात करेंगे.

भारत और उज्बेकिस्‍तान के बीच परम्‍परागत रूप से घनिष्‍ठ और सौहार्द्पूर्ण संबंध रहे हैं. वर्ष 2011 से दोनों देशों के बीच संबंध सामरिक भागीदारी स्‍तर तक पहुंचे हैं. राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षिक, स्‍वास्‍थ्‍य, मानव संसाधन विकास, रक्षा, आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संस्‍कृति और पर्यटन सहित विभिन्‍न क्षेत्रों में दोनों देशों के व्‍यापक संबंध हैं.

उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत की यात्रा से दोनों देशों के बीच पारस्परिक हितों के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करने और सामरिक भागदारी को और मजबूत करने का अवसर मिलेगा। भारत एक परिवहन गलियारे की कल्पना कर रहा है जो एशिया और यूरोप के बीच महत्वपूर्ण संपर्क बनेगा। इसके लिए उज्बेकिस्तान प्रमुख पारगमन केन्द्र की भूमिका निभा सकता है.