
Rajamata Jijau Punyatithi 2025 Marathi Messages: ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से हर साल 17 जून को राजमाता जीजाबाई की पुण्यतिथि (Rajamata Jijau Punyatithi) मनाई जाती है, जबकि इस साल तिथि अनुसार उनकी पुण्यतिथि 20 जून को मनाई जाएगी. साहस, त्याग और बलिदान की देवी राजमाता जिजाऊ (Rajmata Jijau) ने ही शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj) को बचपन से तलवारबाजी, भाला चलाने की कला, घुड़सवारी, आत्मरक्षा, युद्ध-कौशल की शिक्षा दी. इसके साथ ही उन्होंने अपने पुत्र को मातृभूमि, गौ, मानव जाति की रक्षा और महिलाओं का सम्मान करने की शिक्षा भी दी. इतना ही नहीं राजमाता जिजाऊ अपने पुत्र शिवाजी महाराज को बचपन से ही हिंदू धर्म के महाकाव्य रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाया करती थीं, जिसकी बदौलत ही शिवाजी में वीरता, धर्मनिष्ठा, धैर्य और मर्यादा जैसे गुणों का विकास हुआ. अपने पुत्र को युद्ध कलाओं में पारंगत बनाने वाली जिजाऊ जीवन के हर मोड़ पर उनका मार्गदर्शन किया करती थीं. जब शिवाजी महाराज युद्ध पर जाते थे, तब जिजाऊ प्रजा के सारे कामकाज देखती थीं.
शिवाजी महाराज को स्वराज्य की प्रेरणा देने वाली महान राजमाता जीजाबाई के जीवन से आज भी कई लोगों को संघर्ष करने की ताकत मिलती है. किला रायगड के पास पाचाड गांव में 17 जून 1674 को जिजाऊ का निधन हुआ था. उनकी पुण्यतिथि पर लोग इतिहास की इस वीरांगना को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. ऐसे में आप भी इन मराठी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फोटो एसएमएस के जरिए उन्हें याद कर सकते हैं.





गौरतलब है कि राजमाता जिजाऊ का जन्म बुलढाणा जिले के सिंधखेड राजा में 12 जनवरी 1958 को हुआ था. उनके पिता का नाम लखुजी जाधव था, लेकिन जिजाऊ को अपने पिता का साथ बहुत कम समय तक ही मिला, क्योंकि उनका विवाह बहुत कम आयु में शहाजी राजे भोसले के साथ हो गया था. शहाजी भोसले विजापुर दरबार में सरदार के रुप में काम करते थे. उन्होंने कई युद्ध जीते और विजापुर के सुल्तान ने उन्हें कुछ जमीनें उपहार स्वरुप दी. इनमें से राजमाता जिजाऊ के पास पुणे के वतन की जिम्मेदारी थी. शहाजी भोसले हमेशा युद्ध अभियानों पर रहते थे, ऐसे में वतन की जिम्मेदारी संभालते हुए जिजाऊ ने अपने बच्चों को भी अच्छे संस्कार देने में अहम भूमिका निभाई.