नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप केस (Nirbhaya Gangrape Case) में गुनहगारों की फांसी पर मंगलवार को अहम सुनवाई होने वाली है. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) में निर्भया की मां की अर्जी पर सुनवाई होगी. निर्भया की मां ने दोषियों को जल्द फांसी देने की मांग की है. इस बीच खबर यह भी है कि उनके लिए तिहाड़ में फांसी का फंदा तैयार है. पटियाला हाउस कोर्ट निर्भया के चारों दोषियों के लिए आज डेथ वारंट जारी कर सकता है. इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों को सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के लिए 7 जनवरी तक का समय दिया था. साथ ही तिहाड़ जेल ने चारों दोषियों को नोटिस जारी कर पूछा था कि वह दया याचिका दाखिल करेंगे या नहीं.
निर्भया गैंगरेप मामले में फांसी की सजा पाने वाले चार दोषियों में से एक के पिता की फांसी को टालने की कोशिश भी सोमवार को बेकार हो गई. पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप केस के एकमात्र चश्मदीद गवाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की याचिका खारिज कर दी है. दरअसल, निर्भया के दोषियों में से एक पवन के पिता ने एकमात्र गवाह की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए था कि उसकी गवाही को विश्वसनीय नहीं माना जा सकता है.
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इकलौते गवाह के खिलाफ याचिका खारिज
पटियाला हाउस कोर्ट में केस के इकलौते गवाह अवनींद्र पांडे के खिलाफ याचिका दायर की थी. याचिका में दोषी पवन ने निर्भया के दोस्त पर आरोप लगाया कि उसने पैसे लेकर गवाही दी. याचिका में इकलौते गवाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बात भी कही गई थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली के तिहाड़ जेल में पहले जहां एक को फांसी देने की व्यवस्था थी उसे बढ़ाकर चार कर दी गई है. पटियाला हाउस कोर्ट ने इससे पहले की अपनी सुनवाई में कहा था, कि दोषियों ने अभी अपने सभी अधिकारों का इस्तेमाल नहीं किया है. जब तक सब दोषी अपने कानूनी विकल्प इस्तेमाल नहीं कर लेते डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता.
7 साल से न्याय का इंतजार
निर्भया गैंगरेप केस 16 दिसंबर 2012 का है. इस घटना को सात साल पूरे हो चुके हैं. सात साल पहले 16 दिसंबर की रात दिल्ली में चलती बस में एक लड़की का बर्बरता से रेप किया गया. गैंगरेप के बाद निर्भया 13 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझती रही. जिंदगी से जंग करते-करते 29 दिसंबर को उसने दम तोड़ दिया था. 31 अगस्त 2013 को निर्भया के केस में आरोपी कोर्ट में दोषी साबित हुए थे. चारों आरोपियों को दोषी मानकर उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी.
वहीं, एक आरोपी ने ट्रायल के दौरान ही तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी. दिल्ली हाई कोर्ट ने फास्ट ट्रैक कोर्ट का फैसला मानते हुए आरोपियों की मौत की सजा को बरकरार रखा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी मई 2017 में चारों आरोपियों की मौत की सजा को बरकरार रखा था. जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पीटीशन को भी खारिज कर दिया था.