चंडीगढ़: बिहार के मुजफ्फरपुर और पड़ोसी जिलों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कारण 140 से ज्यादा बच्चों की मौत होने की खबर है. इस बीच हरियाणा (Haryana) के गुरुग्राम (Gurugram) से एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया. महज दो महीनों में देश की राजधानी के पड़ोसी गुड़गांव में 117 नवजातों (Newborn) और 7 गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) की मौत हो गई.
मिली जानकारी के मुताबिक प्रशासन ने मामले के तूल पकड़ते ही जांच कमेटी बनाई है. और दावा किया जा रहा है कि जांच कमेटी के रिपोर्ट के बाद मौत के पीछे के असल कारणों का पता चलेगा. स्वास्थ्य विभाग इस मामलें की लीपापोती में जुट गई है. हालांकि इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जवाब मांगे जाने के बाद चीफ मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) ने चाइल्ड डेथ रिव्यू (सीडीआर) जारी करने वाले डॉक्टर को ही सस्पेंड कर दिया है.
सीडीआर में पिछले 2 महीने के दौरान मासूमों की गई जान के पीछे का कारण जागरूकता की कमी, सांस की समस्या, इंफेक्शन और दूध पिलाने के सही तरीके की जानकारी न होना बताया गया है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि वह समय-समय पर गर्भवती महिलाओं के लिए जागरूक अभियान चलाता है. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में मौते असल सच्चाई बयां कर रही है.
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गौरतलब हो कि एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) या चमकी बुखार से लगातार हो रही मासूमों की मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. इस बीमारी को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाने के लिए बिहार सरकार को निर्देश दिए जाने की मांग को लेकर बुधवार को पटना उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है.