भारत और चीनी सेना के बीच जारी तनाव के दौरान एक बार फिर गलवान घाटी (Galwan Valley) चर्चा में आ गई है. गलवान घाटी में ही चीनी सेना ने 1962 की लड़ाई में भारतीय सेना को धोखा दिया था. पूरा गलवान घाटी लद्दाख में आता है. इसी क्षेत्र में एक नदी बहती है जिसका नाम गलवान है. इसी नदी के किनारे पिछले कई सालों से में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी तंबू लगाती है. जिसका भारतीय सेना विरोध करते आए हैं. इसी जगह पर दोनों सेनाओं के बीच झड़प भी हुआ था. चीनी सेना अक्सर अपने तंबू लगाकर भारतीय सेना को उकसाने की कोशिश करती रही है. लेकिन एक बार फिर से गलवान घाटी चर्चा में आ गई है. साल 1962 की लड़ाई के दौरान भी इसी घाटी से तनाव बढ़ना शुरू हुआ था.
फिलहाल भारत और चीन के प्रमुख जनरल लद्दाख के गलवान घाटी और अन्य क्षेत्रों में स्थिति को सामान्य करने के लिए बातचीत कर रहे हैं. ज्ञात हो कि सेना ने बयान में कहा है कि लद्दाख के गालवान घाटी में चीन के साथ डी-एस्केलेशन प्रक्रिया के दौरान दोनों पक्ष हताहत हुए. वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना प्रमुखों और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के साथ बैठक की. जिसमें पूर्वी लद्दाख के घटनाक्रमों पर चर्चा की गई. यह भी पढ़ें:- लद्दाख में भारत-चीन सेना के बीच झड़प, भारतीय अधिकारी समेत दो जवान शहीद.
जानें क्या हुआ दुबारा गलवान घाटी में
बता दें कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के गलवान घाटी में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों के साथ सोमवार रात झड़प के दौरान एक अधिकारी सहित भारतीय सेना के तीन जवान शहीद हो गए. गलवान घाटी में स्टैंड-ऑफ पॉइंट पर झड़प के दौरान भारतीय सेना के कर्नल और दो जवान शहीद हो गए. भारतीय सेना ने एक बयान में कहा कि गलवान घाटी में सेनाओं के पीछे हटने की कवायद के दौरान सोमवार रात झड़प हुई और तीन जवाना शहीद हो गए. इसने आगे कहा, भारतीय पक्ष की ओर से एक अधिकारी और दो जवान शहीद हुए हैं.