पटना, 18 जनवरी : बिहार (Bihar) कांग्रेस का नेतृत्व राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह (Akhilesh Prasad Singh) के हाथों में मिलने के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता बदलने की चर्चा जोरों पर है. कांग्रेस के नेता हालांकि इसे लेकर ज्यादा कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि सामाजिक समीकरण दुरुस्त करने के लिए कांग्रेस ऐसा कर सकती है. बिहार विधानसभा में विधायक दल के नेता अजीत शर्मा हैं और इसके बाद अखिलेश प्रसाद सिंह को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. ये दोनो भूमिहार जाति से आते हैं. विधान परिषद में भी कांग्रेस के नेता सवर्ण जाति के हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि कांग्रेस सामाजिक समीकरण साधने के लिए कुछ बदलाव कर सकती है.
इस बीच, मंत्रिमंडल विस्तार पर भी कांग्रेस की नजर है. मंत्रिमंडल विस्तार में माना जा रहा है कि कांग्रेस के दो लोगों को इस बार मौका मिल सकता है. कांग्रेस के एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहते हैं कि कांग्रेस से फिलहाल मंत्रिमंडल में जो दो मंत्री है वे दलित और मुस्लिम वर्ग से आते हैं. ऐसे में इस बार एक सवर्ण को मंत्रिमंडल में स्थान मिलने की पूरी संभावना है. उन्होंने कहा कि अजीत शर्मा को अगर विधायक दल के नेता पद से हटाया जाता है तो ये मंत्री पद की दौड़ में शामिल हो सकते हैं. यह भी पढ़ें : अदालत ने सीबीआई से कहा, एमसीडी के खिलाफ लोकपाल के आदेश पर आगे न बढ़ें
इधर, सूत्रों की मानें तो मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए मुख्यमंत्री की पहली पसंद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा हैं. ऐसे में कांग्रेस अजीत शर्मा को विधायक दल से हटाकर किसी प्रकार का नया विवाद नहीं चाहेगी. कांग्रेस के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी कहते हैं कि फिलहाल जो भी है, वह मात्र कयास है. परिवर्तन को लेकर न अभी तक केंद्रीय नेतृत्व और न ही प्रदेश नेतृत्व में ऐसी कोई चर्चा हुई है. उन्होंने हालांकि इतना जरूर कहा कि कोई भी पार्टी अपनी मजबूती का ख्याल रखती है. कांग्रेस के नेता भी संगठन को मजबूत करने में जुटे हैं.