![Delhi: पटियाला हाउस कोर्ट से पत्रकार मोहम्मद जुबैर को नहीं मिली राहत, जमानत याचिका खारिज, 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा Delhi: पटियाला हाउस कोर्ट से पत्रकार मोहम्मद जुबैर को नहीं मिली राहत, जमानत याचिका खारिज, 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2022/07/bbkjbjb-380x214.jpg)
Mohammed Zubair Case: दिल्ली पुलिस ने शनिवार को कहा कि यहां की एक अदालत ने ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Alt News Co-Founder Mohammed Zubair) की जमानत याचिका खारिज कर दी है, साथ ही उसने कहा कि वर्ष 2018 में हिंदू देवता के बारे में कथित ‘‘ आपत्तिजनक ट्वीट’’ करने के मामले में उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. हालांकि, जुबैर के वकील सौतिक बनर्जी ने कहा कि अब तक कोई आदेश नहीं सुनाया गया है. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपनी पहचान नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने 14 दिन की रिमांड की उसकी अर्जी को स्वीकार कर लिया है.
पुलिस ने कहा कि रिमांड की जरूरत है क्योंकि आगे की जांच चल रही है. पुलिस ने पांच दिन तक हिरासत में लेकर पूछताछ करने की अवधि पूरी होने के बाद जुबैर को अदालत के समक्ष पेश किया और उसे न्यायिक हिरासत में भेजने का अनुरोध किया. पुलिस की अर्जी के बाद जुबैर ने अदालत के समक्ष जमानत याचिका पेश की. पुलिस की याचिका के बाद आरोपी की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने इस आधार पर अदालत में जमानत याचिका दाखिल की कि उनके मुवक्किल से अब पूछताछ की आवश्यकता नहीं है. यह भी पढ़े: Mohammad Zubair Arrested: जुबैर की गिरफ्तारी पर बोले राहुल गांधी, झूठ को उजागर करने वाला हर शख्स BJP के लिए खतरा
मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका खारिज:
The bail plea of Mohd Zubair has been canceled and our application for judicial remand has been accepted. Three new sections have been invoked 201 and 120 of IPC and 35 FCR Act: Atul Shrivastava, Special Public Prosecutor for Delhi Police pic.twitter.com/jgfEOgXkTn
— ANI (@ANI) July 2, 2022
लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि पुलिस ने जुबैर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120 बी (आपराधिक साजिश) और 201 (सबूत नष्ट करना) तथा विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम की धारा 35 के प्रावधान भी लगाए हैं. उन्होंने दावा किया कि आरोपी ने पाकिस्तान, सीरिया और अन्य देशों से ‘रेजरपे पेमेंट गेटवे’ के जरिए पैसा लिया, जिसमें और पूछताछ की आवश्यकता है.
लोक अभियोजक ने अदालत में कहा, ‘‘वह विशेष शाखा के कार्यालय में फोन लेकर आए थे. जब उसे खंगाला गया तो यह पता चला कि इससे एक दिन पहले वह किसी और सिम का इस्तेमाल कर रहे थे। जब उन्हें नोटिस मिला तो उन्होंने सिम निकाल लिया और उसे नए फोन में डाल दिया। कृपया देखिए कि यह व्यक्ति कितना चालाक है.
उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी को आरोपी की और हिरासत की आवश्यकता पड़ सकती है और वह आवेदन दायर कर सकती है क्योंकि मामले में जांच पूरी नहीं हुई है. ग्रोवर ने न्यायिक हिरासत का अनुरोध करने वाली पुलिस की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि धारा 153ए (दंगा करने के इरादे से जानबूझकर भड़काना) की कहानी खत्म हो गयी है तो पुलिस कुछ देशों का नाम लेकर मीडिया को यह कह रही है कि जुबैर पैसे ले रहा था.
वकील ने कहा, ‘‘मैं (जुबैर) यह बयान दे रहा हूं कि मैं पैसे नहीं ले रहा था. यह कंपनी थी. ऑल्ट न्यूज धारा आठ के अंतर्गत एक कंपनी के तहत चलता है. वे कह रहे हैं कि मैं पत्रकार हूं, मैं एफसीआरए नहीं ले सकता। यह कंपनी के लिए है न कि मेरे लिए। यह मेरे खाते में नहीं गया. जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने अदालत से कहा कि पुलिस द्वारा जब्त किया गया फोन उस समय का नहीं है, जब उन्होंने ट्वीट किया था। उन्होंने कहा, ‘‘ट्वीट 2018 का है और यह फोन मैं (जुबैर) इस समय इस्तेमाल कर रहा हूं. मैंने ट्वीट करने से इनकार भी नहीं किया है.
उन्होंने अदालत से कहा, ‘‘अपना मोबाइल फोन या सिम कार्ड बदलना कोई जुर्म है? अपना फोन फॉर्मेट करना कोई जुर्म है? या चालाक होना कोई जुर्म है? दंड संहिता के तहत इनमें से कुछ भी अपराध नहीं है. अगर आप किसी को पसंद नहीं करते हैं तो यह ठीक है लेकिन आप किसी व्यक्ति पर चालाक होने का लांछन नहीं लगा सकते. ग्रोवर ने अपने मुवक्किल के हवाले से कहा, ‘‘किसी ने बाइक पर मेरा फोन छीन लिया था। मैंने 2021 में शिकायत दर्ज करायी थी। यह वही फोन था जो मैं 2018 में इस्तेमाल कर रहा था. इससे अलग एक मामले में विशेष मामले की जानकारी के तहत यह दस्तावेज रिकॉर्ड में है, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुझे सुरक्षा दी है.
उन्होंने दोहराया कि जुबैर ने अपने ट्वीट में जिस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया, वह 1983 में आयी ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म ‘किसी से न कहना’ का एक दृश्य हैउन्होंने कहा, ‘‘यह एक हास्य फिल्म है. एक प्रख्यात निर्देशक द्वारा रचा गया पूरी तरह हास्य वाला दृश्यइसे यह कहकर हटाया गया कि इससे सार्वजनिक शांति भंग होगी लेकिन ये ट्वीट्स अब भी ट्विटर पर हैं ट्विटर को इसे हटाने के कोई निर्देश नहीं दिए गए। इस फिल्म से 40 वर्ष तक कोई शांति भंग नहीं हुई
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