Teenage Love: 16 साल की उम्र यानी जिंदगी का वो मोड़, जब दिल तेजी से धड़कने लगता है और भावनाएं तूफान जैसी हो जाती हैं. यही वो समय होता है जब टीनएज बच्चे कई बार किसी की ओर आकर्षित हो जाते हैं और उन्हें लगता है कि उन्हें प्यार हो गया है. अब सवाल ये उठता है कि ऐसे वक्त में माता-पिता क्या करें? नाराज हो जाएं, रोक-टोक करें या बच्चे से खुलकर बात करें? सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि टीनएज में पहला प्यार होना एक आम बात है. ये उम्र ही ऐसी होती है जब बच्चे बहुत कुछ महसूस करना शुरू करते हैं, लेकिन उन्हें ये नहीं पता होता कि उन भावनाओं को कैसे संभालना है. ऐसे में पैरेंट्स की भूमिका बेहद अहम हो जाती है.
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1. गुस्से की नहीं, समझ की जरूरत है
अगर आपके बच्चे ने आपसे आकर बताया कि उसे किसी से लगाव हो गया है, तो सबसे पहले उसकी बात को शांत दिमाग से सुनिए. डर या गुस्से से नहीं, बल्कि दोस्त की तरह पेश आइए. अगर आप नाराज होंगे तो बच्चा आगे से कुछ भी बताने से कतराएगा.
2. भावनाओं को कम न आंकें
कई बार पैरेंट्स ये कह देते हैं कि ''अरे ये तो बस उम्र का जोश है'' या ''अभी क्या समझ है तुम्हें प्यार की'' लेकिन इस तरह की बातें बच्चे को गलत तरीके से प्रभावित कर सकती हैं. बच्चे की भावनाओं को गंभीरता से लेना और उसे सही दिशा देना ज्यादा जरूरी है.
3. बातचीत में भरोसा रखें
बच्चे के साथ समय-समय पर खुले दिल से बात करें. उसे समझाएं कि प्यार में इज्जत, समझदारी और सीमाएं भी जरूरी होती हैं. अगर आपके और बच्चे के बीच भरोसे का रिश्ता है तो वह खुद-ब-खुद सही-गलत में फर्क करना सीख जाएगा.
4. सोशल मीडिया और फोन का ध्यान रखें
इस उम्र में बच्चे ऑनलाइन ज्यादा एक्टिव होते हैं, और वहीं से दोस्ती और लगाव की शुरुआत भी होती है. इसलिए उनके डिजिटल बिहेवियर पर नजर रखना जरूरी है, लेकिन ज्यादा टोकाटाकी से बचें. आपको एक गाइड की तरह रहना है, पुलिस की तरह नहीं.
अपने अनुभव शेयर करें
बच्चों को बताइए कि आपने टीनएज में क्या सोचा, क्या महसूस किया था. इससे उन्हें लगेगा कि आप भी इस दौर से गुजरे हैं और वो आपके साथ खुलकर बात कर सकते हैं. 16 की उम्र ना सिर्फ दिल से सोचने की होती है बल्कि सही गाइडेंस की भी सबसे ज्यादा जरूरत होती है. अगर पैरेंट्स थोड़ी समझदारी और धैर्य से काम लें, तो बच्चे खुद ही सही फैसले लेना सीख जाते हैं.













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