OpenAI Web Browser: गूगल Chrome को टक्कर देने आ रहा है ChatGPT का अपना वेब ब्राउज़र

नई दिल्ली: टेक की दुनिया में एक और बड़ी हलचल होने वाली है. ChatGPT बनाकर तहलका मचाने वाली कंपनी OpenAI अब गूगल क्रोम को सीधी टक्कर देने के लिए अपना खुद का वेब ब्राउज़र लॉन्च करने की तैयारी में है. रॉयटर्स की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक, यह नया AI-पावर्ड ब्राउज़र कुछ ही हफ्तों में लॉन्च हो सकता है.

यह ब्राउज़र अलग कैसे होगा?

आज हम इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए गूगल क्रोम, सफारी या मोज़िला फायरफॉक्स जैसे ब्राउज़र का इस्तेमाल करते हैं. OpenAI का यह नया ब्राउज़र इससे कहीं ज़्यादा स्मार्ट होगा. इसकी सबसे बड़ी खासियत होगी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल.

रिपोर्ट के अनुसार, इस ब्राउज़र में आपको वेबसाइट पर क्लिक करने के बजाय बहुत से काम ChatGPT जैसे चैट इंटरफ़ेस में ही करने की सुविधा मिलेगी. सोचिए, आपको किसी वेबसाइट से जानकारी चाहिए, तो आप सीधे ब्राउज़र से ही पूछ सकते हैं और वह आपको जवाब दे देगा.

यही नहीं, यह ब्राउज़र आपके लिए छोटे-मोटे काम भी कर सकेगा. जैसे, अगर आपको कहीं जाने के लिए टिकट बुक करनी है या कोई ऑनलाइन फॉर्म भरना है, तो AI "एजेंट्स" आपकी तरफ से यह काम कर देंगे.

OpenAI ऐसा क्यों कर रहा है?

इसके पीछे OpenAI की एक बड़ी रणनीति है.

  1. यूज़र डेटा तक सीधी पहुँच: आज के समय में यूज़र डेटा सबसे कीमती चीज़ है. गूगल क्रोम अपने यूज़र्स के डेटा का इस्तेमाल करके ही विज्ञापनों से अरबों डॉलर कमाता है. OpenAI का ब्राउज़र उसे सीधे तौर पर यूज़र्स के ब्राउज़िंग पैटर्न और आदतों का डेटा देगा, जिससे वह अपने AI मॉडल को और भी बेहतर बना सकेगा.
  2. गूगल पर निर्भरता कम करना: अभी ChatGPT या OpenAI के दूसरे प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने के लिए हमें किसी और कंपनी (जैसे गूगल) के ब्राउज़र पर जाना पड़ता है. अपना ब्राउज़र होने से OpenAI यूज़र्स को सीधे अपने इकोसिस्टम में रख पाएगा.
  3. बाज़ार में नई जगह बनाना: ChatGPT की सफलता के बाद, गूगल और दूसरी कंपनियों से उसे कड़ी टक्कर मिल रही है. इसलिए, OpenAI अब ग्रोथ के लिए नए क्षेत्रों में हाथ आजमा रहा है.

क्या यह गूगल के लिए ख़तरा है?

हाँ, यह गूगल के लिए एक बड़ा ख़तरा बन सकता है. ChatGPT के साप्ताहिक एक्टिव यूज़र्स की संख्या 50 करोड़ से ज़्यादा है. अगर इनमें से कुछ लोग भी OpenAI के ब्राउज़र पर शिफ्ट हो जाते हैं, तो गूगल की विज्ञापनों से होने वाली कमाई पर सीधा असर पड़ेगा.

हालांकि, यह राह आसान नहीं है. दुनिया भर में 3 अरब से ज़्यादा लोग गूगल क्रोम का इस्तेमाल करते हैं और ब्राउज़र मार्केट में इसकी हिस्सेदारी 65% से भी ज़्यादा है. दूसरे नंबर पर Apple का सफारी ब्राउज़र है, जिसकी हिस्सेदारी महज़ 16% है.

दिलचस्प बात यह है कि OpenAI का यह ब्राउज़र भी गूगल के ही ओपन-सोर्स कोड 'क्रोमियम' (Chromium) पर बनाया गया है. माइक्रोसॉफ्ट एज और ओपेरा जैसे कई दूसरे ब्राउज़र भी इसी कोड का इस्तेमाल करते हैं.

कुल मिलाकर, टेक की दुनिया में एक और दिलचस्प जंग की तैयारी हो चुकी है. देखना यह होगा कि क्या OpenAI का AI-पावर्ड ब्राउज़र गूगल क्रोम के एकछत्र राज को चुनौती दे पाता है या नहीं.