देश की राजधानी दिल्ली को 2025 की पहली छमाही में देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया है. यह जानकारी सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में इस दौरान PM2.5 का औसत स्तर 87 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया, जो न सिर्फ भारत की बल्कि WHO की मानकों से भी कई गुना अधिक है.
दिल्ली भले ही हमेशा वायु प्रदूषण के लिए सुर्खियों में रहती है, लेकिन इस बार देश का सबसे प्रदूषित शहर बना है बर्नीहाट (Byrnihat). यह छोटा-सा कस्बा असम और मेघालय की सीमा पर स्थित है और यहां का PM2.5 स्तर 133 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा. सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि एक भी दिन यहां की हवा “अच्छी” श्रेणी में नहीं आई.
भारत की हवा कितनी खराब? जानिए रिपोर्ट क्या कहती है
293 शहरों के वायु गुणवत्ता आंकड़ों के आधार पर बनी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 122 शहरों ने भारत के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक (40 µg/m³) को पार कर लिया. 239 शहरों ने WHO के सुरक्षित मानक (5 µg/m³) को जून तक पार कर लिया. रिपोर्ट में ‘ओवरशूट डे’ की भी चर्चा की गई है. यानी वह तारीख जब किसी शहर की हवा इतनी खराब हो जाती है कि पूरे साल के मानकों को पूरा करना असंभव हो जाता है. दिल्ली ने WHO मानक 10 जनवरी को पार कर लिया और NAAQS 5 जून को.
दिल्ली की हवा खराब करने वाले प्रमुख कारण
IIT दिल्ली और PRANA पोर्टल के अनुसार दिल्ली में PM2.5 के मुख्य स्रोत:
- परिवहन (17%-28%)
- धूल (17%-38%)
- उद्योग और पॉवर प्लांट (22%-30%)
- घरेलू ईंधन जलाना (8%-10%)
- पराली जलाना (4%-7%)
हालांकि इन सभी स्रोतों पर नियंत्रण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन नियमों का पालन और सख्त क्रियान्वयन अब भी बहुत पीछे है. उदाहरण के लिए, दिल्ली से 300 किमी के दायरे में मौजूद 11 ताप विद्युत संयंत्रों में से सिर्फ दो ही Flue Gas Desulfurization (FGD) तकनीक लागू कर पाए हैं.
टॉप प्रदूषित शहर कौन-कौन से हैं?
- बर्नीहाट (Assam-Meghalaya border)
- दिल्ली
- हाजीपुर (बिहार)
- गाज़ियाबाद (उ.प्र.)
- गुरुग्राम (हरियाणा)
- सासाराम (बिहार)
- पटना (बिहार)
- तालचेर (ओडिशा)
- राउरकेला (ओडिशा)
- राजगीर (बिहार)
बिहार के 4 और ओडिशा के 2 शहर इस सूची में शामिल हैं, जो यह दिखाता है कि वायु प्रदूषण अब सिर्फ दिल्ली या उत्तर भारत तक सीमित नहीं रहा.
क्या हो सकता है समाधान?
CREA के विशेषज्ञों के अनुसार, अब समय आ गया है कि भारत राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को अपडेट करे, सिर्फ धूल या गाड़ियों पर नहीं बल्कि हर सेक्टर पर बराबर ध्यान दे:
- सभी बड़े उद्योगों व प्लांट्स में प्रदूषण नियंत्रण उपकरण अनिवार्य हों.
- गैसीय प्रदूषकों को भी NCAP (राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम) में शामिल किया जाए.
- शहरी योजनाओं में प्रदूषण नियंत्रण प्राथमिकता बने.
रिपोर्ट का सबसे बड़ा संदेश यही है कि अगर भारत अभी ठोस और बहु-स्तरीय उपाय नहीं करता, तो वायु प्रदूषण की यह स्थिति स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है. साफ हवा अब सिर्फ पर्यावरण की चिंता नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य का सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है.













QuickLY