नई दिल्ली: दुनिया को कोरोना (Coronavirus) जैसी बीमारी देने वाले चीन (China) ने अंतरिक्ष का बादशाह बनने की सनक में एक और संकट को जन्म दिया है. चीन का 21 टन वजन का रॉकेट (Rocket) लॉंग मार्च 5बी रॉकेट अंतरिक्ष में ऑउट ऑफ कंट्रोल हो गया है और बेकाबू होकर धरती की तरफ काफी तेजी से आ रहा है. इस रॉकेट का वजन 21 हजार किलो है और आशंका है कि ये धरती पर कहीं भी गिर सकता है. वहीं, वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि धरती के जिस भी हिस्से में ये रॉकेट गिरेगा, वहां ये भारी तबाही मचा सकता है. चीन के राष्ट्रपति Xi Jinping ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कोरोना महामारी से लड़ने में मदद की पेशकश की
इस रॉकेट की रफ्तार 4 मील प्रति सेकेंड्स की है. अंतरिक्ष का बादशाह बनने की सनक में चीन पागलों जैसा बर्ताव कर रहा है और अब ये दुनिया की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है.अमेरिका (America) बीजिंग के ऑउट ऑफ कंट्रोल रॉकेट को ट्रैक करने में जुट गया है. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पेंटागन अनियंत्रित चीनी रॉकेट की तलाश कर रहा है. अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रवक्ता माइक हॉवर्ड ने कहा कि चीन के लॉन्ग मार्च 5B रॉकेट के पृथ्वी के वायुमंडल में 8 मई के आसपास प्रवेश करने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि यूएस स्पेस कमांड रॉकेट को ट्रैक करने का प्रयास कर रही है, ताकि खतरे को कुछ हद तक टाला जा सके.
चाइना एकेडमी ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी (सीएएसटी) में अंतरिक्ष के उप मुख्य डिजाइनर बाई लिन्होउ ने सरकारी संवाद एजेंसी शिन्हुआ को बताया कि तियांहे मॉड्यूल अंतरिक्ष केंद्र तियानगोंग के प्रबंधन एवं नियंत्रण केंद्र के रूप में काम करेगा और इसमें एक साथ तीन अंतरिक्ष यान खड़ा करने की व्यवस्था है.
उन्होंने बताया कि तियांहे मॉड्यूल की लंबाई 16.6 मीटर, व्यास 4.2 मीटर और वजन 22.5 टन है और यह चीन द्वारा विकसित सबसे विशाल अंतरिक्ष यान है.
उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष केंद्र का आकार अंग्रेजी के वर्ण ‘टी’ की तरह होगा जिसके मध्य में मुख्य मॉड्यूल होगा जबकि दोनों ओर प्रयोगशाला के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कैप्सूल होंगे. प्रत्येक मॉड्यूल का वजन 20 टन होगा और जब अंतरिक्ष केंद्र पर, अंतरिक्ष यात्री और सामान लेकर यान पहुंचेंगे तो इसका वजन 100 टन तक पहुंच सकता हैं.
इस अंतरिक्ष केंद्र को पृथ्वी की निचली कक्षा में 340 से 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जा रहा है और यह 10 साल तक काम करेगा. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि उचित देखरेख और मरम्मत से यह 15 साल तक काम कर सकता है.