VIDEO: ड्रोन टेक्नोलॉजी में पीछे क्यों है भारत? राहुल गांधी की सलाह, देश में ही बनाना होगा आधुनिक युद्ध का नया हथियार

राहुल गांधी ने ड्रोन तकनीक को लेकर किया बड़ा खुलासा, कहा- ‘युद्ध का तरीका बदल चुका है’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में एक वीडियो जारी कर ड्रोन तकनीक के प्रभाव और भविष्य को लेकर विस्तार से चर्चा की है. उन्होंने बताया कि किस तरह ड्रोन तकनीक युद्ध के परंपरागत तरीकों को बदल रही है और भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है.

ड्रोन से बदल रहा है युद्ध का परिदृश्य 

राहुल गांधी ने कहा कि ड्रोन तकनीक ने आधुनिक युद्ध को पूरी तरह बदल दिया है. उन्होंने चीन की DJI ड्रोन कंपनी का उदाहरण देते हुए बताया कि यह एक सामान्य कमर्शियल प्रोडक्ट होते हुए भी युद्धक्षेत्र में भारी बदलाव ला रहा है. उन्होंने बताया कि यह ड्रोन चार ब्रशलेस मोटर्स, लिथियम पॉलिमर बैटरी, हाई-क्वालिटी ऑप्टिक्स और टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम के जरिए संचालित होता है.

उन्होंने कहा, "पहले अगर किसी सैनिक टुकड़ी को एयर सपोर्ट चाहिए होता था, तो उसे वायुसेना से संपर्क करना पड़ता था. अब, ड्रोन के जरिए वही टुकड़ी अपनी खुद की ‘एयरफोर्स’ बना सकती है और युद्ध में तत्काल प्रभावी कार्रवाई कर सकती है."

‘टैंक और तोपें हो रही हैं बेकार’ 

राहुल गांधी ने रूस-यूक्रेन युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि ड्रोन अब टैंक, तोपखाने और बड़े हथियारों को लगभग अप्रासंगिक बना रहे हैं. उन्होंने कहा, "अब ड्रोन युद्धक्षेत्र में सैनिकों की आंखें और हथियार दोनों बन चुके हैं. वे दुश्मन को पहचान सकते हैं, हमला कर सकते हैं और युद्ध क्षेत्र को पूरी तरह पारदर्शी बना सकते हैं."

उन्होंने यह भी बताया कि अब ड्रोन ‘FPV यूनिट’ के जरिए संचालित हो रहे हैं, जिससे वे सटीकता के साथ हमला कर सकते हैं. यह तकनीक सिर्फ जमीन पर ही नहीं, बल्कि समुद्री युद्ध में भी क्रांतिकारी बदलाव ला रही है. राहुल गांधी ने कहा कि छोटे ड्रोन अब ‘पानी के नीचे पनडुब्बियों में लगाकर बड़े जहाजों को भी डुबाने में सक्षम हैं.’

‘भारत इस दौड़ में पीछे है’ 

राहुल गांधी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत इस क्षेत्र में बहुत पीछे है. उन्होंने कहा, "हम ड्रोन के जरूरी पुर्जे, जैसे ब्रशलेस मोटर, बैटरियां और ऑप्टिक्स, खुद नहीं बनाते. हमें इन तकनीकों को आत्मनिर्भर बनाना होगा, वरना हम तकनीकी रूप से पिछड़ जाएंगे."

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'AI में नंबर वन बनने' के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा कि "अगर हमारे पास खुद का उत्पादन नेटवर्क नहीं होगा, तो हम कभी भी AI में अग्रणी नहीं बन सकते."

ड्रोन तकनीक से भविष्य का बदलाव 

राहुल गांधी ने कहा कि आने वाला दौर इलेक्ट्रिक मोटर, बैटरी और ऑप्टिक्स तकनीक पर निर्भर होगा. उन्होंने कहा, "जो देश इन तकनीकों में महारत हासिल करेगा, वही भविष्य की अर्थव्यवस्था और युद्धनीति में आगे रहेगा."

उन्होंने कहा कि "पहले औद्योगिक क्रांति के केंद्र में आंतरिक दहन इंजन (Internal Combustion Engine) था, लेकिन अब अगली क्रांति ड्रोन, इलेक्ट्रिक वाहनों और रोबोटिक्स के माध्यम से आएगी. भारत को इन क्षेत्रों में आगे बढ़ने की जरूरत है."

‘हमें सिर्फ असेंबल करने से कुछ नहीं मिलेगा’ 

राहुल गांधी ने कहा कि "भारत में रक्षा क्षेत्र की कंपनियां, जैसे अदानी डिफेंस, केवल विदेशी तकनीक को असेंबल कर रही हैं." उन्होंने कहा कि असेंबलिंग करने से भारत आत्मनिर्भर नहीं बनेगा. उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां ‘उत्पादन नेटवर्क’ इतना मजबूत है कि वे खुद अपनी तकनीक विकसित कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि भारत को असेंबलिंग से आगे बढ़कर उत्पादन नेटवर्क विकसित करना होगा. उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका और यूरोप अब इस तकनीकी बदलाव को समझ चुके हैं, लेकिन वे उत्पादन प्रणाली विकसित करने में असमर्थ हैं.

‘युद्ध का तरीका बदल चुका है’ 

राहुल गांधी ने ड्रोन को आधुनिक युद्ध का सबसे महत्वपूर्ण हथियार बताते हुए कहा कि यह किसी भी अन्य पारंपरिक हथियार की तुलना में अधिक घातक और प्रभावी है. उन्होंने कहा, "गोलियां और मिसाइलें सिर्फ एक दिशा में जा सकती हैं, लेकिन ड्रोन चारों दिशाओं में उड़ सकता है, दुश्मन का पीछा कर सकता है, छिप सकता है और अत्यधिक सटीक हमले कर सकता है."

राहुल गांधी ने इस वीडियो के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि भारत को ड्रोन और नई तकनीकों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है. उन्होंने युवाओं से इस क्षेत्र में आगे आने का आह्वान किया और कहा कि "हमें सिर्फ उपयोगकर्ता नहीं, बल्कि निर्माता बनना होगा."

क्या भारत इस तकनीकी क्रांति का नेतृत्व कर पाएगा? राहुल गांधी का यह संदेश निश्चित रूप से इस पर गहन चर्चा छेड़ सकता है.