पाकिस्तान में एक 22 साल के छात्र को ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है. छात्र पर आरोप है कि उसने पैगंबर मुहम्मद और उनकी पत्नियों के बारे में आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो बनाए और शेयर किए. ये फैसला इसी हफ्ते गुजरांवाला शहर की एक स्थानीय अदालत में सुनाया गया. इस मामले की शिकायत पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (FIA) के साइबर अपराध इकाई ने 2022 में दर्ज कराई थी.
छात्र का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उसे अपराध साबित होने के बाद फांसी की सजा सुनाई गई है. उसके साथ एक 17 साल के किशोर को भी इस मामले में हिरासत में लिया गया था, लेकिन कम उम्र होने के कारण उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. दोनों आरोपियों ने इल्जामों को गलत बताया है और उनके वकीलों का कहना है कि उन्हें "झूठे मामले में फंसाया गया है."
Pakistani student sentenced to death over ‘blasphemous’ WhatsApp messages https://t.co/67BuCHkCFx pic.twitter.com/02xSyL4wOA
— New York Post (@nypost) March 10, 2024
एजेंसी का कहना है कि जांच के दौरान उनके फोन से "आपत्तिजनक सामग्री" बरामद हुई है. 22 साल के छात्र के पिता ने बीबीसी को बताया कि वह लाहौर हाईकोर्ट में अपील दायर करने की योजना बना रहे हैं.
पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून ब्रिटिश शासन के दौरान से ही अस्तित्व में हैं, लेकिन बाद में पाकिस्तान की सैन्य सरकार के अधीन इन कानूनों को और सख्त कर दिया गया. रिपोर्ट के अनुसार 1980 में इस्लामिक धर्मगुरुओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करना गैरकानूनी हो गया था, जिसके लिए तीन साल तक की जेल की सजा हो सकती थी. 1982 में इन कानूनों में संशोधन के बाद कुरान की बेअदबी करने वालों को उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया. इसके बाद 1986 में एक अलग कानून बनाकर पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ ईशनिंदा को "मौत की सजा या उम्रकैद" से दंडनीय बनाया गया.