अब फलस्तीनी किसके हाथों में देना चाहते हैं गाजा का प्रशासन
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

युद्ध विराम के बाद घर लौट रहे लोगों को गाजा में केवल मलबा दिख रहा है. तबाह घर, अनिश्चित भविष्य, युद्ध के गहरे घाव और शांति की नाजुक उम्मीद के अलावा यहां कुछ नहीं है.तीन बच्चों की मां नसरीन हमद ने अपने पति से, अपने घर की खोज-खबर पाने के लिए बेसब्री से इंतजार किया. उनके पति काफी कठिन यात्रा करके गाजा सिटी के शेख रदवान इलाके तक पहुंचे थे. जबकि, वह मध्य गाजा के डेयर अल-बलाह इलाके में ही रुकी रहीं.

हमद ने रविवार को डीडब्ल्यू से फोन पर कहा, "मेरे पति आज हमारे घर गए थे. हमें यह तो पता था कि उसे बमबारी में नुकसान पहुंचा है. लेकिन अपनी आंखों से वो मंजर देखना दर्दनाक था.” उनका घर पूरी तरह तबाह हो चुका है और आसपास का इलाका भी पहचान में नहीं आ रहा.

दो साल बाद घर लौटते लाखों फलीस्तीनी

कमजोर युद्धविराम समझौता

पिछले सप्ताह, गाजा के हमास और इस्राएल ने अमेरिकी के 20-बिंदुओं वाले शांति समझौते पर अपनी सहमति जताई थी, जिससे पिछले दो साल से दोनों के बीच चल रहा युद्ध समाप्त हो गया.

हालांकि, इस समझौते में कई विवादास्पद मुद्दों पर विस्तार से चर्चा नहीं हुई है. लेकिन पहले चरण के तहत, हमास ने सोमवार को बचे हुए 20 जीवित बंधकों को रिहा किया. जबकि इस्राएल ने लगभग 2,000 फलस्तीनी कैदियों को छोड़ा. जिनमें से कई लोगों को बिना किसी आरोप के कैद कर लिया गया था. इसके अलावा, बचे हुए 28 मृत बंधकों के शव भी सौंपे जाने हैं.

युद्ध ने ‘हमारा सब खत्म कर दिया'

नसरीन हमद ने कहा कि इस्राएली बमबारी रुकने से उन्हें कुछ राहत जरूर मिली है. लेकिन अपने घर को खोना, दो साल दर-बदर भटकना इस संघर्ष का एक दर्दनाक पहलू था. उन्होंने बताया कि उनका परिवार अब तक 17 बार विस्थापित हो चुका है.

हमद ने कहा, "भगवान का शुक्र है कि युद्ध खत्म हो गया. लेकिन इसने हमारा सब कुछ खत्म कर दिया. इसने हमारे दोस्त, रिश्तेदार और पड़ोसी सब मार डाले. गाजा को तबाह कर दिया. हम मानसिक रूप से टूट गए हैं. दवाओं की कमी, विस्थापन और प्रदूषित वातावरण ने हमें बहुत सी बीमारियां दे दी हैं. मैं चाहती हूं कि यह युद्ध फिर कभी वापस ना आए. हमें फिर कभी उस डर का सामना ना करना पड़े.”

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, युद्ध से गाजा की लगभग दो-तिहाई इमारतें नष्ट हो चुकी हैं. हमास द्वारा संचालित गाजा स्वास्थ्य प्राधिकरण के अनुसार, दो साल लंबी चली इस लड़ाई में 67,000 से भी अधिक लोग मारे गए. जिसमें से ज्यादातर आम लोग थे. संयुक्त राष्ट्र ने इस युद्ध को नरसंहार करार दिया है. हालांकि, इस्राएल इस आरोप से पूरी तरह इंकार करता है.

‘इस्राएल ने कई सालों के लिए अपने दुश्मन बना लिए हैं'

छह बच्चों के पिता महमूद अफीफ उन लोगों में थे, जो इतना सब होने के बाद भी गाजा में बने रहे. हालांकि, इस्राएल सेना ने इस पर कब्जा करने के लिए अपना पूरा दम-खम लगा दिया था. उन्होंने बताया कि उनके पास यहां से जाने के लिए पैसे ही नहीं थे.

फोन पर बात करते हुए उन्होंने बताया, "मैं पश्चिमी गाजा शहर के तीन अलग-अलग स्थानों के बीच रह रहा था. भगवान का शुक्र है कि मेरे बच्चों को कुछ नहीं हुआ और मैं भी अभी तक जिंदा हूं.” हालांकि, उनका घर पूरी तरह तबाह हो चुका है.

उन्होंने कहा, "मैंने अपना घर खो दिया है. जिसे मैंने और मेरे भाइयों ने पूरी जिंदगी मेहनत करके बनाया था. यह सब हमास और इस्राएल की वजह से हुआ है. पिछले दो सालों जो कुछ भी हुआ, उससे गाजा को कुछ हासिल नहीं हुआ. बल्कि गाजा कई साल पीछे चला गया है. इस्राएल ने आने वाले कई सालों के लिए अपने दुश्मन बना लिए हैं.”

युद्धविराम और इस्राएल सेना के आंशिक रूप से पीछे हटने के बावजूद, इस्राएली अधिकारियों ने बताया कि अब भी सेना का गाजा के 53 फीसदी हिस्से का नियंत्रण है. इस्राएल रक्षा बल के प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर, पूर्व और दक्षिण के कई क्षेत्र अब भी प्रतिबंधित हैं. वहां जाने से "आपकी जान खतरे में पड़ सकती है.”

युद्धविराम पर संदेह

गाजा के लोगों में चिंता है कि यह युद्ध विराम टिकेगा भी या नहीं. मार्च में भी इस्राएल ने ऐसे ही एक समझौते को तोड़कर दोबारा हमला कर दिया था. यहां तक कि नेतन्याहू ने चेतावनी भी दी है कि अगर हमास हथियार नहीं छोड़ता है, और गाजा का पूरी तरह से निरस्त्रीकरण नहीं होता है. तो इस्राएल फिर से युद्ध शुरू कर देगा.

युद्ध विराम के बावजूद दुख और मानसिक आघात अब भी जारी है. कई लोग मलबे के नीचे दब गए और निकाले नहीं गए. कुछ लोग अस्थायी कब्रों में दफन हैं. बच्चों की पढ़ाई बंद हो गई है और स्वास्थ्य सेवाएं नष्ट हो चुकी है. अमेरिकी समझौते के तहत मदद पहुंचाना तय हुआ है. लेकिन इस्राएल कितनी मदद की अनुमति देगा, यह अब तक भी स्पष्ट नहीं हो पाया है.

कौन संभालेगा गाजा का प्रशासन?

शांति योजना में तहत एक नया फलस्तीनी प्रशासन बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया है. जिस पर अंतरराष्ट्रीय हस्तियों जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर नजर रखेंगे. हालांकि, कई फलस्तीनी खुद को इन फैसलों से कटा हुआ मानते हैं.

नसरीन हमद ने कहा, "मैं हमास को नहीं चाहती और ना ही किसी फलस्तीनी गुट को. ऐसी अंतरराष्ट्रीय संस्था, जो गाजा को संभाल सके और उसे फिर से उसका निर्माण कर सके, उसका स्वागत होगा.”

महमूद अफीफ ने भी यही भावना व्यक्त की, "मुझे नहीं पता गाजा पर कौन शासन करेगा. लेकिन मैं पिछले दौर के किसी भी नेता को नहीं चाहता हूं. मैं उम्मीद करता हूं कि जो भी हमारा नेतृत्व करे, वह मेरे बच्चों के लिए एक बेहतर भविष्य बनाए.”