इज़रायल: प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार ने क़तर के टेलीविज़न नेटवर्क अल जज़ीरा के इज़रायल में संचालन को बंद करने के लिए रविवार को सर्वसम्मति से मतदान किया. यह फ़ैसला कब लागू होगा, इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है.
इससे पहले, इज़रायली संसद ने एक नया क़ानून पारित किया था, जिसके तहत गाज़ा में हमास के ख़िलाफ़ युद्ध के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा माने जाने वाले विदेशी प्रसारकों को अस्थायी रूप से बंद किया जा सकता है. इसी क़ानून का इस्तेमाल करते हुए सरकार ने अल जज़ीरा पर प्रतिबंध लगाने का फ़ैसला किया है.
BREAKING: Israeli government uses new law to ban Al Jazeera
— BNO News (@BNONews) May 5, 2024
सरकार का कहना है कि अल जज़ीरा हमास का समर्थन करता है और इज़रायल विरोधी प्रचार करता है. अल जज़ीरा ने इस फ़ैसले की निंदा करते हुए इसे प्रेस की आज़ादी पर हमला बताया है. इस घटनाक्रम से इज़रायल और फ़िलिस्तीन के बीच तनाव और बढ़ने की आशंका है. अल जज़ीरा पर प्रतिबंध से इज़रायल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना भी हो सकती है.
अल जज़ीरा: अरब दुनिया की आवाज़
अल जज़ीरा एक क़तर-आधारित अरबी समाचार चैनल है, जिसने अरब दुनिया में मीडिया परिदृश्य को बदल दिया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है. आइए जानते हैं इस चैनल के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें:
स्थापना और शुरुआत
1996 में क़तर के अमीर शेख़ हमद बिन खलीफ़ा अल-थानी ने अल जज़ीरा की स्थापना की.
शुरुआत में अरबी भाषा में 24 घंटे समाचार प्रसारित करने वाला यह पहला चैनल था.
बीबीसी के अरबी चैनल के बंद होने के बाद कई पत्रकार अल जज़ीरा से जुड़े, जिससे चैनल को अनुभवी टीम मिली. चैनल ने अरब स्प्रिंग के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे उसे "अरब स्ट्रीट का सीएनएन" भी कहा गया.
विवाद
कुछ पश्चिमी देशों ने अल जज़ीरा पर आतंकवाद का समर्थन करने और पश्चिम विरोधी प्रचार करने का आरोप लगाया. चैनल पर क़तर सरकार के प्रभाव को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं. इसे प्रशंसा और आलोचना दोनों मिली हैं. बावजूद इसके, अल जज़ीरा आज भी एक महत्वपूर्ण समाचार स्रोत है और अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.