Bangladesh Independence Day 2025: 26 मार्च 1971 में भारत ने बांग्लादेश को दिलाई थी आजादी, जानें पाकिस्तान के आत्मसमर्पण तक की पूरी कहानी

Bangladesh 55th Independence Day 2025: बांग्लादेश आज 26 मार्च 2025 को अपना 55वां स्वतंत्रता दिवस और राष्ट्रीय दिवस मना रहा है. यह दिन उस संघर्ष और बलिदान की याद दिलाता है जिसने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित किया. 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश एक संप्रभु राष्ट्र बना, और इस संघर्ष में भारत की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही.

आइए विस्तार से जानते हैं कि बांग्लादेश की आज़ादी का इतिहास क्या है, भारत ने इसमें क्या भूमिका निभाई और इस ऐतिहासिक घटनाक्रम से जुड़े रोचक तथ्य कौन-कौन से हैं.

बांग्लादेश की आज़ादी का इतिहास

1. 1947 के बाद पाकिस्तान में असंतोष की शुरुआत

1947 में जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ, तो पाकिस्तान दो भागों में बंटा –

  1. पश्चिम पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान)
  2. पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश)

हालांकि, दोनों हिस्सों के बीच 1600 किलोमीटर की दूरी थी और सांस्कृतिक, भाषाई तथा राजनीतिक मतभेद गहरे थे. पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली भाषा बोलने वाली बहुसंख्यक आबादी थी, लेकिन सत्ता पश्चिमी पाकिस्तान के पंजाबी और उर्दूभाषी नेताओं के हाथ में थी.

2. 1952 में बंगाली भाषा आंदोलन

पाकिस्तानी सरकार ने उर्दू को एकमात्र राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया, जिससे पूर्वी पाकिस्तान में भारी विरोध हुआ. 21 फरवरी 1952 को ढाका में बंगाली भाषा को अधिकार दिलाने के लिए प्रदर्शन हुए, जिसमें कई छात्र शहीद हुए. इस दिन को आज "अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस" के रूप में मनाया जाता है.

3. 1970 का आम चुनाव और सत्ता संघर्ष

1970 के आम चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान के नेता शेख मुजीबुर रहमान की पार्टी अवामी लीग ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की, लेकिन पाकिस्तान की सेना और राष्ट्रपति याह्या खान ने सत्ता हस्तांतरण से इनकार कर दिया.

4. 25 मार्च 1971: ऑपरेशन सर्चलाइट और नरसंहार

25 मार्च 1971 की रात को पाकिस्तान की सेना ने "ऑपरेशन सर्चलाइट" के तहत ढाका और अन्य शहरों में बंगालियों पर अत्याचार शुरू कर दिए. हजारों निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी गई, और लाखों लोगों ने भारत में शरण ली.

26 मार्च 1971 को शेख मुजीबुर रहमान ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी, और यहीं से मुक्ति संग्राम की शुरुआत हुई.

भारत की महत्वपूर्ण भूमिका

1. बांग्लादेश के शरणार्थियों को शरण देना

पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों से बचने के लिए एक करोड़ से अधिक शरणार्थी भारत आए. भारत ने इन्हें शरण दी और इनके लिए राहत शिविर बनाए.

2. मुक्ति वाहिनी को समर्थन 

बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानियों ने मुक्ति वाहिनी नाम से एक गुरिल्ला सेना बनाई. भारत ने इसे प्रशिक्षण, हथियार और रणनीतिक मदद दी.

3. भारतीय सेना का सीधा हस्तक्षेप (1971 भारत-पाक युद्ध)

दिसंबर 1971 में, जब पाकिस्तान ने भारत पर हवाई हमला किया, तो भारत ने युद्ध छेड़ दिया.

  • 3 दिसंबर 1971 को भारत-पाक युद्ध शुरू हुआ.
  • 13 दिनों में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को हराया.
  • 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण कर दिया.

4. भारत की कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय समर्थन

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमेरिका, ब्रिटेन और रूस से समर्थन लिया. भारत की कूटनीति के कारण बांग्लादेश को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली.

16 दिसंबर 1971: बांग्लादेश की जीत और पाकिस्तान का आत्मसमर्पण

16 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तानी सेना के जनरल ए.ए.के. नियाज़ी ने 93,000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया. यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था. इसी दिन बांग्लादेश का जन्म हुआ.

रोचक तथ्य 

✅ भारत के लिए यह युद्ध मात्र 13 दिनों में जीता गया, जो इतिहास के सबसे तेज़ युद्धों में से एक था.

✅ बांग्लादेश में 30 लाख लोग शहीद हुए, और लाखों महिलाओं के साथ अत्याचार हुआ.

✅ भारतीय सेना में फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने अहम भूमिका निभाई.

✅ इंदिरा गांधी को बांग्लादेश में 'माँ' का दर्जा दिया गया और उन्हें ‘बंगबंधु’ शेख मुजीबुर रहमान ने धन्यवाद दिया.

बांग्लादेश की आज़ादी भारत और बांग्लादेश के मजबूत रिश्तों की बुनियाद बनी. भारत ने न केवल युद्ध में मदद की, बल्कि बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाई. 26 मार्च का यह दिन हर साल उन लाखों शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने बांग्लादेश की आज़ादी के लिए अपना बलिदान दिया.