Type 2 Diabetes: बच्चों में बढ़ रहा है टाइप 2 मधुमेह का खतरा- विशेषज्ञ
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लखनऊ, 19 नवंबर : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के चिकित्सा विशेषज्ञों के मुुताबिक अधिक से अधिक बच्चे टाइप 2 मधुमेह का शिकार हो रहे हैं. केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ फैकल्टी मेंबर कौसर उस्मान ने कहा, "जिस सबसे छोटे बच्चे में मैंने मधुमेह का निदान और उपचार किया है, वह कक्षा 7 का छात्र था, जिसके परिवार में मधुमेह का कोई इतिहास नहीं था. ऐसे बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है. बिना किसी पारिवारिक इतिहास के ओपीडी में मधुमेह का निदान किया जा रहा है." डॉक्टरों का कहना है कि इसके लिए आनुवांशिकी से ज्यादा बदलती आदतों/जीवनशैली को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभागाध्यक्ष एनएस वर्मा ने कहा, ''बच्चे अब ज्यादातर घर से बाहर का खाना खाने लगे हैं और यहां तक कि स्कूल में टिफिन लाने से भी बचते हैं.

व्यस्त माता-पिता भी टिफिन के बजाय पैसे देते हैं. इसके अलावा उन पर अच्छा प्रदर्शन करने का काफी दबाव है. इसका उद्देश्य कक्षा 4 या 5 से ही चिकित्सा या इंजीनियरिंग जैसे पेशे पर निर्णय लेना है. हमारे समय में यह सारा दबाव कक्षा 10 के बाद ही आता था.'' डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों को डायबिटीज होना समाज के लिए बड़ी समस्या है. उस्मान ने कहा, "सबसे पहले, यदि कोई अन्य मधुमेह रोगी नहीं था, तो मधुमेह के लिए पारिवारिक इतिहास शुरू होता है और दूसरी बात यह है कि यह रोग 17 वर्ष से 40 वर्ष के बीच व्‍यक्ति को प्रभावित करता है." यह भी पढ़ें :Ayodhya Ram Temple Pran Pratishtha: अयोध्या में बनाई जा रही 80 हजार श्रद्धालुओं के लिए ‘टेंट सिटी’

प्रोफेसर वर्मा ने कहा, ''आईसीएमआर के आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश में 18 प्रतिशत आबादी, चाहे वह किसी भी उम्र की हो, उसे मधुमेह का खतरा है. आईसीएमआर के अध्ययन के अनुसार वे प्री डायबिटीज श्रेणी में आते हैं. वे अभी भी मधुमेह को होने से रोक सकते हैं, लेकिन इसके लिए उनकी जीवनशैली और खान-पान में बदलाव की जरूरत है.'' उन्होंने रोजाना कम से कम 40 मिनट तक व्यायाम करने, एक डाइट चार्ट बनाए रखने और वह खाने का सुझाव दिया जो आपके शरीर के लिए सबसे उपयुक्त हो.