मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक पत्नी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की हकदार है, भले ही विवाह कानूनी न हो. अदालत ने कहा कि दूसरी पत्नी और दूसरी शादी से पैदा हुए बच्चे भी भरण-पोषण के हकदार हैं, भले ही पहली शादी के अस्तित्व के कारण शादी कानूनी न हो. कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के प्रयोजन के लिए, पहले याचिकाकर्ता को पत्नी और दूसरे याचिकाकर्ता को प्रतिवादी का बेटा माना जा सकता है. इसलिए, ट्रायल कोर्ट का निष्कर्ष है कि याचिकाकर्ता प्रतिवादी से भरण-पोषण पाने का हकदार है. मद्रास हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें एक व्यक्ति को अपनी "पत्नी" और उनके बेटे को दस हजार रुपये का मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था.

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