
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार पर संयुक्त राष्ट्र (UN) ने गंभीर आरोप लगाए हैं. बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले साल सत्ता बनाए रखने के प्रयास में उनकी सरकार ने प्रदर्शनकारियों और अन्य नागरिकों पर संगठित हमले किए, जो "मानवता के खिलाफ अपराध" की श्रेणी में आ सकते हैं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसके पास "उचित आधार" हैं यह मानने के लिए कि बांग्लादेश में हत्या, यातना, अवैध कारावास और अन्य अमानवीय कृत्य किए गए.
हसीना सरकार के खिलाफ गंभीर आरोप
रिपोर्ट में दावा किया गया कि शेख हसीना की सरकार, उनकी पार्टी अवामी लीग और बांग्लादेश की सुरक्षा एजेंसियों ने मिलकर प्रदर्शनकारियों और आम नागरिकों पर "व्यापक और व्यवस्थित हमला" किया. हसीना सरकार ने सत्ता में बने रहने के लिए "सैकड़ों लोगों की गैर-न्यायिक हत्या" की.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने कहा कि उनके कार्यालय को "यह विश्वास करने के पर्याप्त कारण मिले हैं कि सरकार के शीर्ष नेतृत्व को इन अपराधों की जानकारी थी और वे इसमें शामिल भी थे."
1,400 मौतों का दावा
संयुक्त राष्ट्र की जांच रिपोर्ट के अनुसार, 1 जुलाई 2023 से 15 अगस्त 2023 के बीच बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई. इस दौरान 1,400 लोगों की हत्या कर दी गई, जिनमें से अधिकांश को सुरक्षा बलों ने गोली मारी. रिपोर्ट के अनुसार, मारे गए लोगों में 12 से 13 प्रतिशत बच्चे थे.
हालांकि, बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार ने इस संख्या को खारिज करते हुए कहा कि उसके आंकड़ों के अनुसार 834 लोगों की मौत हुई थी.
राज्य प्रायोजित हिंसा का आरोप
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख टर्क ने कहा कि पूर्व सरकार ने सत्ता में बने रहने के लिए "पूर्व नियोजित और संगठित रणनीति" अपनाई, जिसमें सैकड़ों गैर-न्यायिक हत्याएं, मनमाने ढंग से गिरफ्तारी, हिरासत में यातना और क्रूर दमन शामिल थे. रिपोर्ट में लिंचिंग और पुलिस एवं अवामी लीग समर्थकों पर प्रतिशोधात्मक हमलों का भी उल्लेख किया गया.
शेख हसीना की स्थिति
शेख हसीना, जो अब 77 वर्ष की हैं, बांग्लादेश छोड़कर भारत में निर्वासन में रह रही हैं. बांग्लादेश की अदालत ने उनके खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों को लेकर गिरफ्तारी वारंट जारी किया है, लेकिन उन्होंने अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की सराहना की, जो देश में सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है.
न्याय और सुधार की मांग
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि बांग्लादेश को सत्य की खोज, न्याय और सुधार की व्यापक प्रक्रिया अपनाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसे मानवाधिकार उल्लंघन न दोहराए जाएं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि यदि बांग्लादेश का कानूनी ढांचा अंतरराष्ट्रीय निष्पक्ष न्याय मानकों पर खरा नहीं उतरता, तो संयुक्त राष्ट्र न्याय प्रक्रिया में सहयोग नहीं करेगा.
संयुक्त राष्ट्र ने यह भी चिंता जताई कि बांग्लादेश में मृत्युदंड लागू है, जो अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के खिलाफ है.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने बांग्लादेश में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन को उजागर किया है. अब देखना यह होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और बांग्लादेश की मौजूदा सरकार इन आरोपों पर क्या कदम उठाती है और क्या देश में न्याय एवं सुधार की दिशा में कोई ठोस पहल की जाती है.