Chhaava Review: विक्की कौशल की मोस्ट अवेटेड फिल्म 'छावा' 14 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. लक्ष्मण उतेकर के निर्देशन में बनी इस फिल्म को दिनेश विजन ने मैडॉक फ़िल्म्स के बैनर तले प्रोड्यूस किया है. 'छावा' छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है, जो अपने पिता के स्वराज्य के सपने को साकार करने के लिए अपने प्राणों की आहुति देते हैं. विक्की कौशल ने इस किरदार को इतने प्रभावी ढंग से निभाया है कि वह परदे पर पूरी तरह से जीवंत हो उठते हैं. फिल्म में रश्मिका मंदाना, अक्षय खन्ना, आशुतोष राणा और विनीत कुमार सिंह जैसे प्रतिभाशाली कलाकार भी अहम भूमिकाओं में नजर आते हैं. शानदार सिनेमेटोग्राफी, भव्य सेट और दमदार अभिनय के बावजूद फिल्म में कुछ खामियां भी हैं. आइए जानते हैं कि क्या 'छावा' दर्शकों की उम्मीदों पर खरी उतरती है या नहीं.
कहानी: स्वराज्य की लड़ाई और बलिदान की गाथा
फिल्म 'छावा' की कहानी छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज की वीरता और स्वराज्य के लिए उनके बलिदान पर आधारित है. फिल्म की शुरुआत अजय देवगन के नरेशन से होती है, जो शिवाजी महाराज की वीरगाथा को बयान करते हैं. शिवाजी महाराज के स्वर्गवास के बाद, उनके पुत्र संभाजी महाराज (विक्की कौशल) स्वराज्य के सपने को आगे बढ़ाते हैं. पहले ही दृश्य में एक जोरदार युद्ध दिखाया गया है, जिसमें संभाजी और उनकी सेना औरंगजेब द्वारा कब्जाए गए बुरहानपुर को ध्वस्त कर देती है. यह सीन दर्शकों में रोमांच भर देता है और फिल्म की शुरुआत को बेहद दमदार बनाता है.
देखें 'छावा' का ट्रेलर:
विक्की कौशल का दमदार अभिनय
विक्की कौशल ने संभाजी महाराज के किरदार में जान फूंक दी है. चाहे युद्ध के सीन हों, सेना को प्रेरित करना हो, भावुक क्षण हों या अपनी पत्नी के साथ प्रेमपूर्ण संवाद, हर दृश्य में उन्होंने अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया है. विक्की ने जिस आत्मविश्वास और भावनात्मक गहराई के साथ यह भूमिका निभाई है, वह काबिल-ए-तारीफ है.
सपोर्टिंग कास्ट का योगदान
रश्मिका मंदाना ने संभाजी महाराज की पत्नी का किरदार निभाया है. हालांकि उन्हें स्क्रीन पर ज्यादा समय नहीं मिला, लेकिन उन्होंने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया. उनकी जगह किसी मराठी अभिनेत्री को भी लिया जा सकता था, जिससे किरदार में अधिक गहराई आ सकती थी.

अक्षय खन्ना ने औरंगजेब की भूमिका निभाई है. उनके डायलॉग्स भले ही कम हैं, लेकिन उनका स्क्रीन प्रेजेंस जबरदस्त है. उन्होंने खलनायक की भूमिका को अपने अंदाज में बेहद प्रभावी ढंग से पेश किया है. आशुतोष राणा हमेशा की तरह दमदार लगे, जबकि विनीत कुमार सिंह ने कवि का किरदार बखूबी निभाया.
सिनेमेटोग्राफी और एक्शन सीन्स
फिल्म की सिनेमेटोग्राफी बेहद प्रभावशाली है. युद्ध के दृश्यों को भव्यता के साथ प्रस्तुत किया गया है, जो दर्शकों को उस दौर में ले जाते हैं. कॉस्ट्यूम्स भी शानदार हैं, जो ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को और भी प्रामाणिक बनाते हैं. एक्शन सीन्स में भव्यता और रियलिज्म का मिश्रण है, जो दर्शकों को रोमांचित करते हैं. खासकर पहले हाफ में युद्ध और फाइटिंग सीन्स को बेहतरीन ढंग से फिल्माया गया है.

कमजोर कड़ियां: सेकंड हाफ और बैकग्राउंड म्यूजिक
फिल्म का पहला हाफ बेहद जोरदार है, लेकिन सेकंड हाफ में कहानी की गति थोड़ी धीमी पड़ जाती है. कहानी को थोड़ा और कसने की जरूरत थी. इसके अलावा, बैकग्राउंड म्यूजिक और गाने अधिक प्रभावशाली बनाए जा सकते थे, जिससे भावनात्मक दृश्यों का प्रभाव और बढ़ जाता.
निर्देशन और पटकथा
लक्ष्मण उतेकर ने फिल्म को भव्यता के साथ पेश किया है. उन्होंने इतिहास को सजीव बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हालांकि, कहानी को थोड़ा और प्रभावशाली और चुस्त बनाने की गुंजाइश थी. संवाद और नरेशन प्रभावी हैं, लेकिन कुछ दृश्यों में भावनात्मक गहराई की कमी महसूस होती है.
अगर आप इतिहास, युद्ध और वीरता की कहानियों के प्रशंसक हैं, तो 'छावा' आपको निराश नहीं करेगी. विक्की कौशल की दमदार अदाकारी, भव्य सेट और शानदार सिनेमेटोग्राफी फिल्म को देखने लायक बनाते हैं. हालांकि, कुछ कमजोर पहलू भी हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह फिल्म आपको बांध कर रखने में सफल होती है.

फायनल वर्डिक्ट
'छावा' एक ऐतिहासिक गाथा है, जो संभाजी महाराज के जीवन और उनके बलिदान को जीवंत करती है. विक्की कौशल ने अपने अभिनय से इस किरदार में जान डाल दी है. कुछ कमजोरियों के बावजूद, फिल्म मनोरंजन और इतिहास प्रेमियों के लिए एक अच्छी पेशकश है.













QuickLY