आधुनिक भारत के जनक और महान समाज सुधारक राजा राममोहन राय का आज 246वां जन्मदिवस है. उनका जन्म 22 मई, 1772 को पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद जिले के राधानगर गांव में हुआ था. गूगल ने भी आज अपना डूडल राजा राममोहन राय को समर्पित कर भारत के रुढ़िवादी और कुरीतियों के कट्टर विरोधी राजा राममोहन राय को श्रद्धांजलि दी है. राजा राममोहन राय स्त्री समाज के उद्धार और हक़ के लिए जमकर लड़े. सामाजिक जनजागरण के साथ उन्होंने भारतीय पत्रकारिता को एक नई दिशा देने का भी काम किया. उनके ही प्रयासों की बदौलत ब्रिटिश सरकार ने सती प्रथा या विधवा स्त्री को जिन्दा जलाने की प्रथा को समाप्त करने का निर्णय लिया और इसे आपराधिक हत्या घोषित कर दिया.
धार्मिक एवं सामाजिक विचारों के प्रसार हेतु ब्रह्म समाज की स्थापना करनेवाले राजा राममोहनय ने सती प्रथा के विरुद्ध समाज को जागरूक किया. जिसके फलस्वरूप इस आन्दोलन को बल मिला और तत्कालीन अंग्रेजी सरकार को सती प्रथा को रोकने के लिये कानून बनाने पर विवश होना पड़ा था. अन्तत: उन्होंने सन् 1829 में सती प्रथा रोकने का कानून पारित किया. इस प्रकार भारत से सती प्रथा का अन्त हो गया.
महिलाओं के व्यक्तित्व को महत्व देने के लिए राजा राममोहन राय ने ना केवल उस समय की सबसे बड़ी सामाजिक बुराई सती प्रथा के विरुद्ध आवाज उठाई बल्कि स्त्रियों की शिक्षा, बाल-विवाह को रोकने के लिए भी अथक प्रयास किए. इसके अलावा उन्होंने विधवा विवाह का भी समर्थन किया था.
राजा राममोहनय राय की दूरदर्शिता और वैचारिकता के अनेकों उदाहरण इतिहास में दर्ज है. वें समाज की बुराईयों के कट्टर विरोधी होने के साथ ही संस्कार, परंपरा और राष्ट्र गौरव को अपने दिल से बहुत करीब मानते थे. वे भारत को आजाद देखना चाहते थे लेकिन उनका एक और सपना था कि देश के हर नागरिक को इसकी कीमत भी होनी चाहिए.
राजा राममोहन राय ने आधुनिक भारत के इतिहास में प्रभावशाली काम किए थे. वेदांत स्कूल ऑफ फिलोसोफी में उन्होंने उपनिषद का अभ्यास किया था. उन्होंने वैदिक साहित्यों को इंग्लिश में रूपांतरित भी किया. भारतीय आधुनिक समाज के निर्माण में ब्रह्म समाज की मुख्य भूमिका रही है.
हिंदी के प्रति राजा राममोहनय राय को अगाध स्नेह था. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और पत्रकारिता के कुशल संयोग से दोनों क्षेत्रों को एक नए आयाम पर पहुंचा दिया. उनेक आन्दोलनों ने जहां पत्रकारिता को चमक दी, वहीँ उनकी पत्रकारिता ने आन्दोलनों को सही दिशा दिखाने का कार्य किया.
राजा राममोहन राय ने भारतीय समाज के लिए आधुनिक अंग्रेजी शिक्षा की वकालत की, ताकि भारतीय समाज में एक तर्क आधारित वैज्ञानिक सोच का विकास हो सके. उन्होंने एकेश्वरवाद का प्रसार किया तथा मूर्ति पूजा, बलिप्रथा, भेदभाव, छुआछुत, बहुविवाह का विरोध किया. वें धर्मसहिष्णु थे और सभी संस्कृतियों में समन्वय में विश्वाश रखते थे.
वे भारत से पश्चिमी संस्कृति को निकालकर भारतीय संस्कृति को विकसित करना चाहते थे. आधुनिक समाज के निर्माण के लिए उन्होंने कई स्कूलों की स्थापना की थी, ताकि भारत में ज्यादा से ज्यादा लोग शिक्षित हो सके. राजा राममोहन राय व्स्व्भव से अत्यंत शिष्ट थे लेकिन अन्याय के सख्त विरोधी थे.