साल 2021 में केवल कोविड ने ही नहीं और भी कई बीमारियों ने बच्चों समेत बड़े-बूढ़ों को प्रभावित किया, जबकि डेंग्यू और चिकनगनिया जैसी मच्छरों जनित बीमारियों ने भी अपना प्रकोप दिखाया.
साल 2021 भारत में वास्तव में बीमारियों का साल रहा है. यहां तक कि डेल्टा द्वारा संचालित एक खतरनाक कोविड 19 लहर के रूप में, डेंग्यू, एमआईएस एवं ह्रदय रोगों से लेकर म्यूकोर्मिसकोसिस जैसी घातक बीमारियों ने भी लोगों को अपनी अपनी चपेट में लिया. कोविड से उपजी जटिलताओं ने बच्चों, युवाओं एवं वृद्ध सभी को प्रभावित किया, जबकि मच्छरों से उत्पन्न डेंग्यू और चिकनगुनिया जैसी मच्छरों से उत्पन्न बीमारियों में भी खूब वृद्धि हुई. प्राप्त आंकड़ों के अनुसार दिल्ली से तमिलनाडु तक छह राज्यों में गत वर्ष की तुलना में पांच गुना से ज्यादा मामले दर्ज हुए. आज जब हम साल 2021 को अलविदा कह रहे हैं, आइये उन पांच बीमारियों पर एक सरसरी नजर डालते हैं, जिन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों को अपनी चपेट में लेते हुए लोगों को परेशान किया.
1- ब्लैक फंगस (Mucormycosis)!
कोरोना महामारी के बाद ब्लैक फंगस ने भी लोगों को खूब परेशान किया. यह म्यूकॉर्माइसेट्स नामक मोल्ड के कारण होता है, और लक्षणों के दिखते ही इसका तुरंत इलाज किया जाना आवश्यक होता है. चिकित्सकों के अनुसार कोविड के इलाज के दौरान अत्यधिक स्टेरॉयड के उपयोग के कारण उत्पन्न होता है. स्टेरॉयड के अनुचित उपयोग एवं अनियंत्रित मधुमेह की वजह से ब्लैक फंगस बढ़ता है. ब्लैक फंगस आंख और ब्रेन को सबसे ज्यादा प्रभावित करता इसके सामान्य लक्षणों में चेहरे, नाक और आंख के पास की त्वचा का काला होना, आंखों में जलन, त्वचा पर काली पपड़ी जमना, सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, चेहरे के तरफ दर्द एवं सुन्न होना शामिल है. समय पर इलाज नहीं हो तो ब्रेन डैमेज का भी खतरा बढ़ जाता है.
2- बोन डेथ (Avascular Necrosis)!
कोरोना से ठीक होने के बाद एवैस्कुलर नेक्रोसिस यानी बोन डेथ के कुछ मरीज सामने आए. दरअसल जब किसी भी हड्डी में खून की सप्लाई खत्म हो जाती है तो उसमें ऑक्सीजन की कमी से बोन सेल डेथ हो जाती है, यानी हड्डी की कोशिकाएं मरने लगती हैं. यह हड्डियों में क्रेक होने और इसके पतन का कारण भी बन सकता है. इसके मुख्य लक्षणों में कूल्हे, जांघों एवं जोड़ों में निरंतर दर्द की शिकायत होती है. विशेषकर लेटते समय तीव्र दर्द होता है. अगर इसका सही समय पर इलाज नहीं हो तो जरा से दबाव से हड्डियों के टूटने या क्रेक होने का डर रहता है. यह भी पढ़ें : Omicron Scare: कोविड-19 के दूसरे वेरिएंट की तुलना में तेजी से फैलता है ओमिक्रॉन, WHO ने कहा- टीका लगाए और रिकवर हुए लोगों को भी संक्रमण का खतरा
3- मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS)!
मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम के ज्यादातर बच्चे शिकार हुए थे. चिकित्सकों के अनुसार कोरोना से संक्रमण होने के चार से छह सप्ताह बाद बच्चों के शरीर भी प्रभावित होने लगते हैं. पोस्ट कोविड माना जानेवाला यह संक्रमण काफी घातक हो सकता है. इस रोग से ह्रदय, फेफड़े, रक्त नलिकाओं, किडनी, पाचन तंत्र, मस्तिष्क, त्वचा या आंखों में सूजन पैदा कर सकता है. इसके मुख्य लक्षणों में बुखार, उल्टी, पेट में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते. लाल आंखें, होंठ एवं जीभ में सूजन तथा सिरदर्द हैं. चिकित्सकों के ऐसी बीमारियों का समय रहते इलाज अवश्य करवा लेना चाहिए.
4- रक्त का थक्का बनना एवं ह्रदय संबंधी समस्याएं!
कोविड काल में हार्ट अटैक के मामलों में भी अप्रत्याशित वृद्धि रही है. क्योंकि इलाज के दौरान देखा गया कि कोविड पीड़ितों में ह्रदय संबंधी समस्याएं भी खूब देखी गयीं. इसके मुख्य लक्षणों में सीने में जकड़न, सांस लेने में कठिनाई, पीड़ा एवं धड़कनों में अनियंत्रित वृद्धि देखी गई थी. इसकी वजह से हार्ट अटैक, मायोकार्डिटिस, ह्रदय में सूजन, उसकी कम पंपिंग क्षमता, रक्त के थक्के, दिल का फेल्योअर अथवा उसमें अनियंत्रित होती धड़कनें जैसी जटिलताएं देखी गईं.
5- डेंग्यूः (Dengue )!
डेंक्यू(Dengue) मच्छर जनित वायरल इंफेक्शन बीमारी है, जो संक्रमित एडीज प्रजाति मच्छरों के काटने से होता है. इस वर्ष इस बीमारी ने भी लोगों को खूब परेशान किया. यह सामान्य बीमारी से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम तक रोग के लक्षण इसके भिन्न-भिन्न प्रकारों पर निर्भर करता है. यह संक्रमण जब गंभीर रुख अख्तियार करता है तो डेंगू रक्तस्त्राव बुखार अथवा डीएचएफ (Dengue Haemorrhagic Fever) का खतरा बढ़ जाता है. इसमें भारी रक्तस्त्राव (Heavy Bleeding), ब्लड प्रेशर का अचानक कम हो जाना इत्यादि का खतरा होता है, जो घातक भी हो सकता है. आम डेंगू के लक्षणों में तेज बुखार, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, त्वचा में चिपचिपाहट एवं पेट में दर्द हो सकता है, जबकि डेंगू घातक रूप लेने पर निम्न रक्तचाप, नाड़ी की धड़कन मद्धिम पड़ना, भारी रक्तस्त्राव, श्रवण मतिभ्रम, सेरेब्रल एनोक्सिया (मस्तिष्क तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाना), बुखार, उल्टी और पेट में दर्द शामिल है.