
नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने HMPV (ह्यूमन मेटाप्यूमोवायरस) को लेकर एक बयान जारी करते हुए लोगों को आश्वस्त किया कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि यह वायरस नया नहीं है और इसकी पहचान सबसे पहले 2001 में की गई थी. भारत में भी इस वायरस के मामले सामने आए हैं, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय स्थिति पर नजर बनाए हुए है और जरूरी कदम उठा रहा है.
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बता दें कि HMPV वायरस मुख्य रूप से सांस के जरिए फैलता है और यह सर्दियों या मौसम बदलने के शुरुआती महीनों में ज्यादा सक्रिय होता है. हालांकि, यह कोविड-19 जितना खतरनाक नहीं है, फिर भी इससे बचाव जरूरी है.
HMPV पर स्वास्थ्य मंत्री का बयान
स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, "हम स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं. देश का स्वास्थ्य निगरानी नेटवर्क सतर्क है और किसी भी आपात स्थिति का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है." 4 जनवरी को स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक की अध्यक्षता में हालात की समीक्षा के लिए एक बैठक हुई. स्वास्थ्य मंत्री ने भरोसा दिलाया कि भारत के पास इस वायरस से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन और तकनीकी क्षमता है.
HMPV वायरस क्या है?
HMPV (ह्यूमन मेटाप्यूमोवायरस) एक आरएनए-स्ट्रैंडेड वायरस है जो मुख्य रूप से सांस संबंधी समस्याएं पैदा करता है. यह वायरस सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों पर इसका असर ज्यादा होता है.
मुख्य लक्षण
बुखार, खांसी, जुकाम, सांस लेने में कठिनाई, गले में खराश. गंभीर मामलों में, वायरस ब्रोंकाइटिस या निमोनिया जैसी जटिलताओं को जन्म दे सकता है. एचएमपीवी के लिए ऊष्मायन अवधि आमतौर पर तीन से छह दिनों के बीच होती है. जिसमें संक्रमण की गंभीरता के आधार पर लक्षण अलग-अलग अवधि तक बने रहते हैं.
यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने, खांसने-छींकने या दूषित सतहों को छूने से फैल सकता है.
भारत में HMPV के मामले
बेंगलुरु: यहां दो बच्चों में HMPV की पुष्टि हुई. तीन महीने के बच्चे को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि आठ महीने का बच्चा अभी भी उपचाराधीन है.
कोलकाता: नवंबर में छह महीने के एक बच्चे में HMPV का मामला सामने आया.
अहमदाबाद: राजस्थान से आए दो महीने के बच्चे में HMPV की पुष्टि हुई. उसकी हालत स्थिर है.
HMPV से बचाव के उपाय
- HMPV वायरस से बचने के लिए सावधानी बरतना जरूरी है.
- खांसते या छींकते समय रूमाल या टिशू पेपर का इस्तेमाल करें.
- हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं या अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का उपयोग करें.
- पर्याप्त वेंटिलेशन सुनिश्चित करें.
- पोषण युक्त भोजन खाएं और ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं.
- बुखार या खांसी होने पर सार्वजनिक सpt:void(0);" id="font_decrease" class="font_change_btn " title="Decrease font size" >A-