
Sambhaji Maharaj Jayanti 2025 Wishes in Hindi: देशभर में हर साल 14 मई को छत्रपति संभाजी महाराज की जयंती मनाई जाती है, लेकिन महाराष्ट्र में इसे काफी धूमधाम से मनाया जाता है. दरअसल, मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले महान शासक और वीर योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) और उनकी पहली पत्नी सईबाई के पुत्र संभाजी महाराज (Sambhaji Maharaj) यानी संभाजी राजे का जन्म अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 14 मई 1657 को पुणे से करीब 50 किलोमीटर दूर पुरंदर किले में हुआ था, जबकि तिथिनुसार उनका जन्म ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को हुआ था और आज (7 जून 2025) तिथिनुसार संभाजी महाराज की जयंती (Sambhaji Maharaj Jayanti) मनाई जा रही है. जब संभाजी राजे दो साल के हुए तो उनकी मां सईबाई का निधन हो गया, जिसके चलते उनकी परवरिश दादी जीजाबाई ने की. अपने पिता शिवाजी महाराज की तरह ही संभाजी महाराज को भी बहुत कम उम्र में ही राजनीति की गहरी समझ आ गई थी, जब वे नौ साल के थे तो उन्हें एक समझौते के तहत राजपूत राजा जयसिंह के यहां बंदी की तरह रहना पड़ा था.
पिता छत्रपति शिवाजी महाराज के निधन के बाद जब संभाजी महाराज सत्ता में आए तभी से उन्होंने मुगलों से बैर लेना शुरू कर दिया. उन्होंने बुरहानपुर पर हमला करके मुगल सेना का पस्त कर दिया था. महज 32 साल की उम्र में मुगल बादशाह औरंगजेब ने उनकी हत्या करवा दी थी. एक महान योद्धा, विद्वान और सच्चे देशभक्त के तौर पर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराने वाले छत्रपति संभाजी महाराज की जयंती पर आप इन हिंदी विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए शुभकामनाएं दे सकते हैं.

उसका आदर समस्त संसार करता है.
संभाजी महाराज जयंती की शुभकामनाएं


ऐसे धर्म का पालन सिर्फ महान लोग ही करते हैं.
संभाजी महाराज जयंती की शुभकामनाएं


संभाजी महाराज अपने पिता की मृत्यु के बाद सन 1681 में सिंहासन पर बैठे, भले ही उनका शासनकाल अल्पकालिक था, लेकिन औरंगजेब के नेतृत्व वाले शक्तिशाली मुगल साम्राज्य के खिलाफ तीव्र संघर्ष और अटूट प्रतिरोध द्वारा चिह्नित किया गया था. उन्हें स्वराज्य और हिंदवी धर्मरक्षा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए याद किया जाता है. कहा जाता है कि संभाजी महाराज बचपन से ही क्रांतिकारी किस्म के थे. वे अपने पिता की तरह ही अपने अद्भुत धैर्य, महान पराक्रम और शौर्य के लिए जाने जाते थे. उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह ही स्वराज और स्व-शासन की स्थापना के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था.