
Chhatrapati Sambhaji Maharaj Jayanti 2025 Quotes: छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) के बाद ‘छत्रपति’ का खिताब उन्हीं के ज्येष्ठ पुत्र संभाजी महाराज (Sambhaji Maharaj) को प्राप्त हुआ था. पिता की मृत्यु के पश्चात छत्रपति संभाजी ने ही मराठा साम्राज्य की बागडोर संभाली थी. संभाजी महाराज भी अपने पिता शिवाजी महाराज की तरह महान वीर, विद्वान, और निडर योद्धा थे. अपने शासन काल में उन्होंने औरंगजेब के खिलाफ कई युद्ध कर उसकी ईंट से ईंट बजा दी थी. संभाजी महाराज संस्कृत, फारसी, मराठी सहित कई भाषाओं के ज्ञाता थे. उन्होंने ‘बुधभूषण’ नामक ग्रंथ की रचना भी की थी. संभाजी महाराज की निष्ठा, शौर्य एवं हिन्दू धर्म के लिए किया गया बलिदान आज भी लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है.
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार 1689 में मुगल सैनिकों ने षड़यंत्र रचकर उन्हें बंदी बनाया और उन पर इस्लाम धर्म ग्रहण करने का दबाव डाला, मगर छत्रपति संभाजी महाराज अंत तक धर्म बदलने के लिए तैयार नहीं हुए, अंततः औरंगजेब ने उनकी निर्मम हत्या करवा दी.
छत्रपति संभाजी राजे का जन्म 14 मई 1657 को पुरंदर दुर्ग (पुणे) में हुआ था, जबकि तिथि अनुसार उनका जन्म ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को हुआ था. ऐसे में तिथिनुसार संभाजी महाराज की जयंती (7 जून 2025) के अवसर इस महान योद्धा को ये प्रेरक कोट्स भेजकर श्रद्धासुमन अर्पित कर सकते हैं.
छत्रपति संभाजी महाराज जयंती के प्रेरणादायक कोट्स
1- ‘धर्म के लिए जिसने सब कुछ न्योछावर कर दिया, वो थे छत्रपति संभाजी महाराज!’

2- ‘शौर्य, साहस और बलिदान की जीवंत मूर्ति थे संभाजी महाराज– इतिहास उन्हें सदा नमन करता रहेगा.’

3- ‘संभाजी महाराज का जीवन हमें सिखाता है कि अत्याचार के विरुद्ध लड़ना ही सच्ची भक्ति है.’

4- ‘जो धर्म और स्वराज्य के लिए मरे, उनका नाम इतिहास स्वर्ण अक्षरों में लिखा है – जय संभाजी!’

5- ‘संभाजी महाराज केवल राजा नहीं, वे विचार हैं, आत्मबल हैं और स्वाभिमान का प्रतीक हैं.’

6- ‘संभाजी महाराज ने जीवन नहीं, एक आदर्श जिया.’

7- ‘संभाजी महाराज की तलवार में केवल शक्ति नहीं, बल्कि न्याय की भावना भी थी.’

8- ‘डर कभी उनके खून में नहीं था, शेर दिल वाले संभाजी महाराज को सलाम.’

9- ‘धर्म के लिए मृत्यु को आने दो, लेकिन जीवन के लिए धर्म को कभी मत छोड़ो.’

10- ‘संभाजी महाराज को विरासत में सिंहासन भले ही मिला हो, लेकिन उन्होंने अपने दम और शौर्य के बल पर कई लड़ाइयां जीती.’

छत्रपति संभाजी राजे को 20 जुलाई 1680 को ही पन्हाला में राजा के रूप में सिंहासन पर बैठाया गया था, लेकिन उनका आधिकारिक राज्याभिषेक रायगढ़ किले में 16 जनवरी 1681 को किया गया था. संभाजी राजे का राज्याभिषेक उनके पिता छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की तरह भव्य एवं उत्साह के साथ मनाया गया था. गौरतलब है कि औरंगजेब ने संभाजी के सामने इस्लाम धर्म कबूल करने का प्रस्ताव रखा, और कहा कि तुम्हारी जान बख्श दी जाएगी, मगर संभाजी के इंकार करने पर उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया. 11 मार्च 1689 को संभाजी की हत्या कर उनके मृत देह को पुणे स्थित तुलापुर में फेंक दिया गया.