श्रावण मास में शुक्लपक्ष की पंचमी के दिन नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन कालसर्प दोष की पूजा का विशेष महत्व होता है. यूं तो भगवान शिव के विभिन्न मंदिरों में पूरे साल काल सर्पदोष मुक्ति की पूजा करवाई जाती है. लेकिन नाग पंचमी के दिन बारह ज्योतिर्लिंग में से किसी एक ज्योतिर्लिंग में जाकर कालसर्प दोष की पूजा-अनुष्ठान करवाने से सारे दोष सदा के लिए मिट जाते हैं. साथ ही लंबे समय से जीवन में चल रही समस्याओं का अंत होता है.
कालसर्प योग क्या है?
कालसर्प एक ऐसा योग है जो जातक के पूर्व जन्म के किसी जघन्य अपराध के दंड या शाप के कारण उसकी जन्मकुंडली में दिखता है. व्यक्ति व्यावहारिक, आर्थिक एवं शारीरिक रूप से परेशान रहता है. मुख्य उसे संतान संबंधी कष्ट भी होते हैं. उसे संतान नहीं होती अथवा होती भी है तो वह बेहद दुर्बल व रोगी होती है. उसकी कमाई का जुगाड़ बड़ी मुश्किल से होता है. धनी घर में पैदा होने के बावजूद उसे किसी न किसी वजह से अप्रत्याशित रूप से आर्थिक क्षति होती रहती है. वह हमेशा किसी न किसी रोग से भी परेशान रहता है. वह जिस भी व्यवसाय में हाथ लगाता है, उसे केवल नुकसान होता है. नौकरी करते हुए बड़े अधिकारियों का नाराजगी लगातार बनी रहती है. कठोर मेहनत और संपूर्ण निष्ठा से कार्य करने के बावजूद आपेक्षित आय नहीं होती. परिवार के जिन सदस्य, मित्र और सहयोगियों से उम्मीद रहती है, वही विश्वासघात करता है. मदद के नाम पर मुंह फेर लेते हैं अथवा अपमानित करने से भी बाज नहीं आते.
काल सर्प दोष की पूजा का विधान
श्रावण मास के शुक्लपक्ष के दिन जिन लोगों की कुण्डली में "कालसर्प योग' बन रहा है, उन्हें इस दोष की शान्ति के लिए उपवास व पूजा-उपासना करना आवश्यक होता है. इसकी विधिवत पूजा अनुष्ठान के लिए नाग पंचमी के दिन व्रत रखें. घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर गोबर या गेरू से नाग की आकृति बनाएं. तत्पश्चात दूध, दुर्वा, कुशा, गंध, फूल, अक्षत और लड्डू चढ़ाकर नाग स्त्रोत तथा मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं. कहा जाता है कि नाग देवता को चंदन की सुगंध बहुत प्रिय है. इसलिए कालसर्प दोष की पूजा में चंदन का प्रयोग अवश्य करना चाहिए. कालसर्प दोष की शांति पूजा में सफेद कमल का प्रयोग ज्यादा प्रभावकारी होता है. पूजा के दरम्यान मंत्रोच्चारण करने से ‘कालसर्प योग' के अशुभ प्रभाव मिटते हैं और कालसर्प योग की शान्ति होती है.
ऐसे भी दूर कर सकते हैं कालसर्प दोष
कालसर्प योग की शांति के लिए नागपंचमी के दिन शिव जी के नाम का उपवास रखें. पूजा के दौरान चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को किसी नदी अथवा प्रवाहित हो रहे जलाशय में विसर्जित कर देना चाहिए. इसके साथ ही अष्टधातु या कांसे का बने नाग देवता को शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए. नाग पंचमी के दिन रुद्राक्ष की माला से शिव पंचाक्षर मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करने से भी कालसर्प योग से शांति प्राप्त होती है. नाग पंचमी के दिन दूध, शक्कर एवं शहद से शिवलिंग का अभिषेक करने के पश्चात उस पर जलाभिषेक करने से भी कालसर्प योग का दोष समाप्त होता है.
कालसर्प दोष पूजा के लिए क्या न करें
किसी भी नाग देवता मंदिर में तेल लगे बाल नहीं गिराएं. इस पूजा के पश्चात इसी दिन किसी अन्य मंदिर में विशेष पूजा-अनुष्ठान न करें. पूजा के बाद दोस्तों, रिश्तेदारों के घर जाएं. गर्भवती महिलाओं को इस पूजा-अनुष्ठान में भाग नहीं लेना चाहिए.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.