Nag Panchami 2019: 5 अगस्त को सावन सोमवार और नाग पंचमी का बन रहा है दुर्लभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व इस पर्व का महत्व
सावन सोमवार और नाग पंचमी 2019 (Photo Credits: Instagram)

Nag Panchami 2019: हिंदू पंचांग (Hindu Panchang)  के अनुसार, श्रावण मास यानी सावन महीने (Sawan Maas) के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी (Nag Panchami) का पर्व मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक, नाग पंचमी का त्योहार हर साल जुलाई या अगस्त महीने में पड़ता है. इस बार नाग पंचमी का त्योहार 5 अगस्त 2019, सोमवार को पड़ रहा है. सबसे खास बात तो यह है कि इस बार सावन सोमवार (Sawan Somvar) और नाग पंचमी (Nag Panchami)  का दुर्लभ संयोग बन रहा है. सोमवार का दिन और सावन का महीना भगवान शिव (Lord Shiva) को अत्यंत प्रिय है, ऐसे में सावन सोमवार के दिन नाग पंचमी पड़ने की वजह से इसका महत्व और बढ़ गया है.

नाग पंचमी एक ऐसा पर्व है जिसमें सांप या नाग (Snake) को देवता मानकर उनकी पूजा की जाती है. इस दिन लोग दिन भर व्रत करते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं. इस दिन लोग नागों को दूध पिलाते हैं, इसके अलावा इस दिन कालसर्प दोष निवारण और पितृदोष निवारण के लिए उपाय भी किए जाते हैं. नाग पंचमी के व्रत को शुभ और बहुत फलदायी माना जाता है. चलिए जानते हैं नाग पंचमी की व्रत कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इसका महत्व.

शुभ मुहूर्त-

दिन- सोमवार, 5 अगस्त 2019.

तिथि प्रारंभ- 4 अगस्त 2019 को रात 12:19 बजे से,

तिथि समाप्त- 5 अगस्त 2019 को रात 9: 25 बजे तक.

पूजा मुहूर्त- सुबह 6:29 बजे से सुबह 8:41 बजे तक. यह भी पढ़ें: Shravan 2019: सावन में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आजमाएं ये दमदार उपाय, जीवन की सभी परेशानियां होंगी दूर

व्रत कथा

हिंदू धर्म में नाग को देवता माना गया है. नाग देवता भगवान शिव के गले में सुशोभित होते हैं तो वहीं उन्हें भगवान विष्णु के शैया के तौर पर भी जाना जाता है. नाग पंचमी की पूजा को भगवान कृष्ण से भी जोड़कर देखा जाता है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के मामा कंस ने उन्हें मारने के लिए कालिया नाग को भेजा था. एक दिन जब श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ यमुना नदी के किनारे खेल रहे थे, तब उनकी गेंद नदी में गिर गई. भगवान कृष्ण उस गेंद को लाने के लिए यमुना नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया.

श्रीकृष्ण और कालिया नाग के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें कालिया नाग की हार हुई. इसके बाद कालिया नाग ने श्रीकृष्ण से मांफी मांगते हुए उन्हें वचन दिया कि वो गांव वालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा और यमुना नदी को छोड़कर सदा-सदा के लिए चला जाएगा. कालिया नाग पर भगवान कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है.

पूजा विधि-

  • सुबह स्नान करने के बाद पूजा के स्थान पर गोबर से नाग बनाएं.
  • इसके बाद नाग पंचमी के व्रत का संकल्प मन ही मन लें.
  • फिर नाग देवता के सामने हाथ जोड़कर उनका आह्वान करें.
  • इसके बाद जल, पुष्प और चंदन से नाग देवता को अर्घ्य दें.
  • अब पंचामृत बनाकर नाग देवता की प्रतिमा को स्नान कराएं.
  • फिर नाग देवता की प्रतिमा पर चंदन, गंध युक्त जल अर्पित करें.
  • भोग के रूप में नाग देवता को लड्डू और मालपुए अर्पित करें.
  • अब चंदन, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, पुष्प, फल, पान का पत्ता चढ़ाएं.
  • व्रत कथा पढ़ें या सुनें, उसके बाद आरती उतारें,
  • शाम को भी नाग देव की पूजा, आरती करके फलाहार करें और व्रत खोलें. यह भी पढ़ें: Shravan 2019: नंदी बैल कैसे बनें भगवान शिव की सवारी, जानिए इससे जुड़ी यह अनोखी पौराणिक गाथा

क्या है इसका महत्व ?

नाग देवता आदि देव महादेव के गले के हार के रूप में सुशोभित होते हैं, जबकि जगत के पालनहार श्रीहरि नाग की शैया पर विश्राम करते हैं. कहा जाता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता को दूध पिलाया जाए और उनकी पूजा की जाए तो वे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इसके अलावा नाग पंचमी के दिन कालसर्प दोष और पितृ दोष निवारण के लिए ज्योतिषीय उपाय किए जाते हैं.

गौरतलब है कि इस बार सावन सोमवार और नाग पंचमी का दुर्लभ संयोग बनने के कारण इसका महत्व और बढ़ गया है. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, इस दिन रुद्राभिषेक पूजा, कालसर्प दोष निवारण और पितृ दोष निवारण के लिए उत्तम और फलदायी दिन है.