Shravan 2019: नंदी बैल कैसे बनें भगवान शिव की सवारी, जानिए इससे जुड़ी यह अनोखी पौराणिक गाथा
भगवान शिव और उनके वाहन नंदी (Photo Credits: Facebook)

Shravan 2019: सावन का महीना (Shravan Month) भगवान शिव (Lord Shiva) और उनके भक्तों के लिए बेहद खास माना जाता है. सावन में पूरे एक महीने तक भक्त अपने आराध्य भगवान शिव की भक्ति करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. सावन का महीना महादेव (Mahadev) को अतिप्रिय है, इसलिए कहा जाता है इस महीने में जो भी सच्ची श्रद्धा से उनकी भक्ति करता है वे उन पर अपनी कृपा बरसाते हैं. आपने इस बात पर तो गौर किया ही होगा कि भगवान शिव के आसपास हमेशा नंदी बैल (Nandi) मौजूद रहते हैं और भक्त उनकी भी पूजा करते हैं, लेकिन ऐसा क्यों है इस बात पर शायद ही आपने गौर किया हो?

कहा जाता है कि नंदी बैल भगवान शिव के वाहन हैं और उनके बिना भगवान शिव स्वयं को अधूरा मानते हैं. गले में नाग, मस्तक पर अर्ध चंद्र और देह पर भस्म रमाने वाले भगवान शिव के वाहन आखिर नंदी कैसे बनें? चलिए जानते हैं इससे जुड़ी अनोखी और दिलचस्प पौराणिक गाथा.

शिव पुराण की एक कथा के अनुसार-

शिव पुराण (Shiv Puran) की एक कथा के अनुसार, शिलाद (Shilad) नाम के एक ऋषि ने काफी समय तक भगवान शिव की तपस्या की थी, जिसके बाद उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें नंदी के रूप में पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया. कहा जाता है कि शिलाद ऋषि जिस आश्रम में रहते थे, वहीं पर उनका पुत्र भी ज्ञान प्राप्त किया करता था. एक समय की बात है शिलाद ऋषि के आश्रम में दो संत आए, जिनकी सेवा नंदी ने पूरी श्रद्धा से की. जब संत आश्रम से जाने लगे तो उन्होंने शिलाद ऋषि को दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया, लेकिन नंदी को नहीं.

संतों द्वारा नंदी को आशीर्वाद न दिए जाने पर शिलाद ऋषि चिंतित हो गए, जिसके बाद उन्होंने संतों से इस बात का कारण पूछा, तब संत पहले तो सोच में पड़ गए फिर उन्होंने कहा कि नंदी अल्पायु है. यह सुनते ही शिलाद ऋषि के पैरों तले जमीन खिसक गई और उस दिन के बाद से वो कुछ ज्यादा ही परेशान रहने लगे. यह भी पढ़ें: Shravan 2019: सावन में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आजमाएं ये दमदार उपाय, जीवन की सभी परेशानियां होंगी दूर

एक दिन पिता को चिंतित और परेशान देख नंदी से उनसे इसका कारण जानने की कोशिश की. बेटे द्वारा पूछे जाने पर शिलाद ऋषि ने उन्हें उनके अल्पायु होने की बात बताई. नंदी ने जब पिता की परेशानी का कारण जाना तो वो बहुत जोर से हंसने लगे और बोले- भगवान शिव ने मुझे आपको दिया है. ऐसे में मेरी रक्षा करना भी उन्हीं का दायित्व है, इसलिए आप परेशान मत होइए,

पिता को शांत करने के बाद नंदी भुवन नदी के किनारे भगवान शिव की तपस्या करने लगे. उनकी कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और कहा कि क्या इच्छा है तुम्हारी वत्स. जिसके बाद नंदी ने कहा कि मैं हमेशा आपकी शरण में रहना चाहता हूं. नंदी की बात सुनकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और नंदी को गले लगा लिया. शिवजी ने नंदी को बैल का चेहरा दिया और उन्हें अपने वाहन, मित्र और अपने सभी गणों में सबसे उत्तम रूप में स्वीकार किया. इसके बाद से ही नंदी उनकी सवारी कहे जाने लगे और मंदिरों में शिवलिंग के साथ नंदी बैल के रूप को भी स्थापित किया जाने लगा.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.