Guru Purnima 2025: सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का पर्व मनाया जाता है, इसी दिन वेद व्यास जी की जयंती (Ved Vyas Jayanti) भी मनाई जाती है. वेद व्यास को ब्रह्माण्ड गुरू माना जाता है, उन्होंने चार वेदों, ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत और अट्ठारह पुराण जैसे दिव्य साहित्यों की रचना की. गुरु पूर्णिमा को श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर वेद व्यास की पूजा करते हैं, बहुत से लोग इस दिन अपने गुरुओं कों उपहार, वस्त्र, फल एवं मिठाई भेंट करते हैं. बहुत से घरों में श्री सत्यनारायण की कथा का आयोजन भी होता है. इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का पर्व 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा, आधुनिक परिवेश में ‘गुरु’ सिर्फ ज्ञान देनेवाला गुरु नहीं, बल्कि उसे कोच, मेंटोर, गाइड या मोटिवेशनल स्पीकर आदि के नाम से भी जाना जाने लगा है. यहां हम इसी विषय पर विस्तार से बात करेंगे.
गुरु बनाम कोच क्या फर्क है?
वर्तमान दौर में विषय बेहद प्रासंगिक है, जहां हर कोई खुद को ‘कोच’,’मेंटोर’, ’गाइड’, या ‘मोटिवेशनल स्पीकर’ कहता है, लेकिन ‘गुरु’ का अर्थ सिर्फ ज्ञान देने वाला नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने वाला होता है. इसे तीन नजरिये से समझा जा सकता है. यह भी पढ़ें: Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा का महापर्व गुरुवार के दिन, अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाने वाले गुरुओं को नमन
भूमिकाः युग बदल गया, पर सवाल वही है
आज जब हर कोई सफलता की दौड़ में शामिल है, हजारों कोच, मेंटर्स और स्पीकर्स लोगों को रास्ता दिखाने का दावा करते हैं. वे आपको मार्केटिंग, करियर, स्पोर्ट, हेल्थ और रिलेशनशिप जैसे तमाम क्षेत्रों में गाइड करते हैं. आपका मार्ग प्रशस्त करते हैं, आपको सफलता दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं, तो क्या उन सभी को ‘गुरु’ का दर्जा दिया जा सकता है? क्या ‘गुरु’ और ‘कोच’ को समान माना जाए?
कोच और गुरु – अंतर की पहचान
कोच कौन है? कोच एक विशेष कौशल या विषय में मार्गदर्शन करने वाला योग्य मार्गदर्शक होता है, जिसका मुख्य उद्देश्य है, – व्यक्ति विशेष के परफॉर्मेंस में सुधार, स्किल सिखाना, मोटिवेट करना. वह पेशेवर होता है – सीमित समय में, सीमित दायरे में. कोच आपको जवाब नहीं देता, बल्कि सवालों से सोचने पर मजबूर करता है.
उदाहरणार्थ क्रिकेट कोच, लाइफ कोच, स्पीकिंग कोच, बिजनेस कोच, स्विमिंग कोच इत्यादि
गुरु कौन है? गुरु केवल विषय नहीं, जीवन का ज्ञान देता है. वह मन और आत्मा दोनों को दशा और दिशा देता है, केवल दिमाग को नहीं. गुरु निर्विशेष प्रेम और निस्वार्थ सेवा भाव से पढ़ाता है, उसका मूल उद्देश्य आपके चरित्र और चेतना का निर्माण करना है. वह केवल ज्ञान नहीं, ज्ञान के साथ संस्कार भी देता है.
उदाहरण: चाणक्य (चंद्रगुप्त के गुरु), रामकृष्ण परमहंस (विवेकानंद के गुरु), द्रोणाचार्य (अर्जुन के गुरु).












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