हिंदुओं का चैत्र मासिक पर्व मेष संक्राति (सतुआन) इस साल 14 अप्रैल को मनाया जा रहा है. सूर्य के मकर राशि से मेष राशि में पहुंचने के उपलक्ष्य में यह लोक पर्व मनाया जाता है. भोजपुरी भाषी क्षेत्र में यह त्योहार अधिक मनाया जाता है. किसान विशेष रूप से इस त्योहार को मनाते हैं. किसान जब नए उत्पादों को प्राप्त करते हैं तो उसकी खुशी में सामूहिक दावत के उद्देश्य से यह त्योहार मनाया जाता है. इस त्योहार के पीछे अन्य कई धार्मिक मान्यताएं भी निहित है. इस दिन चूल्हे की पूजा भी की जाती है.
ज्योतिषी व पंडितों की राय में इस बार सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है जो विशेष फलदायी योग है. सतुआन के दिन खरमास समाप्त हो जायेगा. इसके साथ ही शादी-विवाह समेत सभी मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं. इस पर्व को सतुआन के अलावा सत्तू संक्रांति भी कहा जाता है. पंजाब में बैसाखी त्योहार के रूप में इसे मनाया जाता है.
सतुआन के दिन सुबह 9:51 से दोपहर 2:03 बजे तक शुभ समय है. इस दौरान गंगा या तीर्थ स्नान व दान का विशेष महत्व है. इस दिन प्रत्यक्ष देवता सूर्य की पूजा की जाती है. वहीं सत्तू, गुड़, चना, पंखा, मिट्टी का घड़ा, आम, ऋतुफल, अन्न आदि दान करने की परंपरा है. आध्यात्मिक मान्यता है कि सत्तू व जल से भरा पात्र दान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है.
जूड़ शीतल का त्योहार 15 अप्रैल को मनाया जाएगा. जुड़ शीतल का त्योहार बिहार में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन इस पर्व का मिथिला में काफी महत्व है. इस दिन गुड़ और सत्तू के साथ ऋतु फल एवं जल से भरा घड़ा के दान का विशेष महत्व है.