Jur Sital/Maithili New Year 2024 Wishes in Hindi: जुड़ शीतल (Jur Sital) के पर्व को बिहार में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, क्योंकि यह मिथिला वासियों के लिए नव वर्ष (New Year) का पहला दिन होता है. जुड़ शीतल का मतलब होता है शीतलता की प्राप्ति. जिस तरह से बिहार के लोग छठ में सूर्य देव और चौरचन में चंद्रमा की पूजा करते हैं, उसी तरह से जुड़ी शीतल पर मैथिली समाज के लोग जल की पूजा करते हैं और शीतलता की कामना करते हैं. जुड़ शीतल दो दिन तक मनाया जाता है एक दिन पहले सतुआइन होता है और दूसरे दिन धुरखेल मनाया जाता है. इस दिन लोग कुएं, तालाब जैसे जल संग्रह के स्थानों की सफाई करते हैं, साथ ही वर्षा काल के आने तक पेड़ों को नियमित पानी देने की शुरुआत करते हैं. इस साल जुड़ शीतल (Jur Sital) यानी मैथिली नव वर्ष (Maithili New Year) का पर्व 14 अप्रैल 2024 को मनाया जा रहा है.
जुड़ शीतल त्योहार में सतुआइन के अगले दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता है. ऐसे में सतुआइन के दिन ही अगले दिन के लिए भी खाना बनाकर तैयार किया जाता है. अगले दिन चूल्हा न जलने पर लोग सत्तू और बेसन से बना बासी खाना ही खाते हैं. इसके साथ ही इस पर्व की एक-दूसरे को प्यार भरी शुभकामनाएं भी देते हैं. ऐसे में इस खास अवसर पर आप इन शानदार विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेस और वॉलपेपर्स को भेजकर प्रियजनों से हैप्पी जुड़ शीतल कहकर मैथिली न्यू ईयर की बधाई दे सकते हैं.
2- मैथिली नव वर्ष की बधाई
3- हैप्पी जुड़ शीतल
4- हैप्पी मैथिली न्यू ईयर
5- जुड़ शीतल की हार्दिक बधाई
बहरहाल, जुड़ शीतल पर्व के पीछे फसल तंत्र और मौसम भी कारक है, क्योंकि मिथिला में सत्तू और बेसन की नई पैदावार इसी मौसम में होती है. आमतौर पर गर्मी में खाने-पीने की चीजें जल्दी खराब हो जाती हैं, लेकिन सत्तू और बेसन से बने व्यंजन जल्दी खराब नहीं होते हैं, इसलिए मिथिला क्षेत्र के लोग गर्मी के मौसम में सत्तू और बेसन का अधिक उपयोग करते हैं. इस दिन घर के बड़े-बुजुर्ग अपने से छोटे लोगों के सिर पर बासी पानी डाल कर जुड़ैल रहु का आशीर्वाद देते हैं. ऐसी मान्यता है कि इससे पूरी गर्मी सिर ठंडा रहता है. इस दिन पेड़-पौधों पर संध्या के समय जल डाला जाता है, इसे लेकर लोगों का मानना है कि पेड़-पौधे भी उनके परिवार का हिस्सा हैं और वो उनकी क्षा करते हैं.