Pehla Sawan Somwar 2023: पंचक काल में पड़ रहे सावन के सोमवार को कैसे करें भगवान शिव का अनुष्ठान? जानें क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य?
सावन के सोमवार (Photo Credits: File Photo)

सावन का महीना शुरू हो चुका है, और पहला सोमवार का व्रत 10 जुलाई 2023 को पड़ रहा है. उधर 6 जुलाई 2023 से 10 जुलाई सोमवार तक पंचक लगा हुआ है. हिंदू धर्म में पंचक को शुभ एवं मंगल कार्य निषेध माना गया है, ऐसे में प्रश्न उठता है कि 10 जुलाई को सावन के पहले सोमवार को भगवान शिव की पूजा-अनुष्ठान कैसे किया जाये? यहां ज्योतिषाचार्य श्री भगवत जी महाराज पंचक योग में पड़े सावन के पहले सोमवार के व्रत एवं शिव-अनुष्ठान के संदर्भ में बता रहे हैं...

क्या पंचक में शिव पूजा संभव है?

आचार्य भागवत जी के अनुसार पहला सावन सोमवार 10 जुलाई को पड़ रहा है. इस दिन सुकर्मा योग और रेवती नक्षत्र का योग बन रहा है. उस दिन श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है. इस दिन रूद्र अवतार काल भैरव की पूजा का विशिष्ठ की जाती है. पंचक 10 जुलाई 2023 की प्रात काल 05.30 बजे समाप्त हो जाएगा. चूंकि भगवान शिव सारे काल से विलग महाकाल हैं, उनके ऊपर कुछ भी नहीं है, इसलिए उनकी पूजा किसी भी समय और बिना कोई मुहूर्त देखे की जा सकती है, इसलिए सावन के पहले सोमवार (10 जुलाई 2023) को पंचक होने के बावजूद भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. बाकी कार्यों में पंचक के नियमों को जरूर मानना चाहिए. Shrawan Maas 2023: आज से शुरू होगा 59 दिवसीय श्रावण मास! ना करें ये गलतियां संकट में फंस सकते हैं

कब करें रुद्राभिषेक

श्रावण अष्टमी के दिन रुद्राभिषेक का बहुत सुंदर संयोग बन रहा है, क्योंकि इस दिन पूरे समय शिववास देवी गौरी के साथ होंगे. यहां बता दें कि शिववास का आशय है कि इस दिन भगवान शिव क्या कर रहे होते हैं, चूंकि भगवान शिव के रूद्राभिषेक एवं शिव-पूजा के अन्य अनुष्ठानों के समय आदि शक्ति यानी देवी पार्वती शिवजी के साथ होंगी, इसलिए इसलिए रुद्राभिषेक करना बेहद फलदायी होता है. इस दिन रुद्राभिषेक सूर्योदय से लेकर संध्या काल 06.43 बजे के अंदर किसी भी समय किया जा सकता है.

ऐसे करें रुद्राभिषेक

सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान करें और भगवान शिव एवं देवी पार्वती के सामने निराहार व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार निशिता काल में की गई पूजा से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं. इसलिए निशिता काल में संपूर्ण घर एवं पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करें. उत्तर दिशा की ओर मुंह करके चंदन के लेप को बीच के तीन अंगुलियों से अपने मस्तक पर त्रिपुंड बनाएं. अब ॐ नमः शिवाय का जाप करते हुए मिट्टी के शिवलिंग (अगर घर में पूजा कर रहे हैं) पर दूध एवं गंगाजल से अभिषेक करें. इसके पश्चात शिवलिंग पर बिल्व पत्र, बेर, धतूरा, पुष्प, शहद एवं मिष्ठान आदि अर्पित करें. निम्न मंत्र का उच्चारण करें

ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये

शिवप्रीत्यर्थं च शिवपूजनमहं करिष्ये

पूजा के अंत में भगवान शिव एवं देवी पार्वती की आरती उतारें. 

आचार्य के अनुसार शिव-भक्त चाहें तो दिन के समय भी रुद्राभिषेक एवं शिव जी की अन्य पूजा अनुष्ठान कर सकते हैं.