Independence Day 2019: स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाने के लिए हर हिंदुस्तानी बड़ी ही बेसब्री से 15 अगस्त का इंतजार करता है. दरअसल, साल 1947 में 15 अगस्त के दिन ही भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी. पहली बार आजाद भारत के स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा फहराया था. 15 अगस्त के दिन हर साल देश के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराकर देश को संबोधित करते हैं. इसके साथ ही इस भव्य परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस दिन हर कोई देशभक्ति के जज्बे के साथ तिरंगे (Tricolor) के रंग में रंगा नजर आता है.इस साल 15 अगस्त 2019 को भारत 73वां स्वतंत्रता दिवस (73rd Independence Day) मनाने जा रहा है.
यह ऐतिहासिक दिन ब्रिटिश हुकूमत (British Government) के अंत का प्रतीक है. करीब 200 साल तक गुलामी की बेड़ियों में जकड़े रहने के बाद भारत को आजादी मिली थी. बता दें कि आजादी की लड़ाई का पहला बिगुल 1857 में बजा था, जब कई भारतीय रियासतों ने मिलकर ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. भले ही 1857 के विद्रोह को दबा दिया गया, लेकिन इसी विद्रोह ने भारत में स्वतंत्रता आंदोलन को गति प्रदान की. गुलामी की बेड़ियों से देश को आजाद कराने के लिए कई वीर क्रांतिकारियों को अपना बलिदान देना पड़ा. चलिए एक बार फिर देश के उन वीर क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हैं, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई में अपना अहम योगदान दिया.
1- महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi)
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है. उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत से लड़ने के लिए अहिंसा के मार्ग को अपनाया. उन्होंने बिना हथियार और हिंसा के अंग्रजों के खिलाफ आंदोलन किया. महात्मा गांधी के आह्वान पर ही 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई, जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव को पूरी तरह से हिलाकर रख दिया. यह भी पढ़ें: August Kranti Diwas 2019: 'भारत छोड़ो आंदोलन' ने अंग्रेजी हुकूमत को कर दिया था देश छोड़ने पर मजबूर, जानें अगस्त क्रांति दिवस से जुड़ी खास बातें
2- भगत सिंह (Bhagat Singh)
शहीद-ए-आजम भगत सिंह स्वतंत्रता संग्राम के सबसे लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी थे. उनके पिता और चाचा क्रांतिकारी गदर पार्टी के सदस्य थे. भगत सिंह ने हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन जॉइन किया, बाद में इसका नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट और रिपब्लिक आर्मी कर दिया गया. साल 1929 में विधानसभा में बम फेंकने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 23 मार्च 1931 को उन्हें राजगुरु व सुखदेव के साथ फांसी पर चढ़ा दिया गया.
3- सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose)
सुभाष चंद्र बोस को लोग प्यार से नेताजी कहकर पुकारते थे. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए नेताजी ने इंडियन नेशनल आर्मी (INA) का गठन किया था. नेताजी कांग्रेस से अलग हो गए, क्योंकि वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पार्टी के उदारवादी दृष्टिकोण से खुश नहीं थे. उन्होंने 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा बुलंद किया था. साल 1945 में जापान में एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी.
4- चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad)
चंद्रशेखर आजाद एक वीर क्रांतिकारी होने के साथ ही हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के सदस्य भी थे. उन्हें भगत सिंह का गुरु भी माना जाता है. लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए उन्होंने साल 1928 में लाहौर में जे.पी. सौन्डर्स की हत्या की थी. इसके अलावा आजाद ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई गितिविधियों में शामिल थे. 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में मुठभेड़ के दौरान आजाद ने खुद को गोली मार ली थी, क्योंकि उन्होंने खुद से ब्रिटिश पुलिस द्वारा न पकड़े जाने का वादा किया था.
5- अशफाक उल्ला खान (Ashfaqullah Khan)
अशफाक उल्ला खान का जन्म शाहजहांपुर में शफीकुर रहमान और मजहरूनिसा के घर हुआ था. वे अपने छह भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. राम प्रसाद बिस्मिल और चंद्रशेखर आजाद जैसे अन्य क्रांतिकारियों के साथ खान ने ब्रिटिश सरकार के खजाने को लूटने के लिए काकोरी ट्रेन डकैती की योजना बनाई थी. उन्हें 1927 में मौत की सजा दी गई थी.
6- राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil)
राम प्रसाद बिस्मिल हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. उन्होंने साल 1918 में मैनपुरी षड़यंत्र के अलावा 1925 में हुई काकोरी ट्रेन डकैती में अहम भूमिका निभाई थी. करीब 18 महीने की कानूनी प्रक्रिया के बाद बिस्मिल, अश्फाक उल्ला खान, रोशन सिंह और राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को मौत की सजा सुनाई गई थी. यह भी पढ़ें: भारत के इन दो शहरों में 15 अगस्त को नहीं मनाया जाता स्वतंत्रता दिवस..जानिए वजह
7- लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai)
लाला लाजपत राय को पंजाब केसरी यानी पंजाब का शेर कहा जाता था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होने और पंजाब में राजनीतिक आंदोलन में भाग लेने के बाद उन्हें ये उपाधि मिली थी. उन्हें बिना किसी मुकदमे में मांडले, म्यांमार भेज दिया गया था. साइमन कमिशन के विरोध के दौरान पुलिस की लाठीचार्ज में राय गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे, जिसके बाद उनका निधन हो गया था.
8- झांसी की रानी लक्ष्मीबाई (Rani Laxmibai)
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई उत्तर भारत के झांसी रियासत की रानी थी, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में मौजूद है. रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के विद्रोह के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक थीं. 1857 के विद्रोह में ईस्ट इंडिया कंपनी से युद्ध के दौरान उनकी मौत हो गई थी. मरते दम तक लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया था.
गौरतलब है कि स्वतंत्रता दिवस पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराकर देशवासियों को संबोधित करते हैं. इस दिन आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले देश के वीर क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और देश के लिए किए गए उनके बलिदानों को याद किया जाता है.