
1970 में अमेरिका में एक ऐसा वैज्ञानिक प्रयोग किया गया जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया. अमेरिकी न्यूरोसर्जन डॉ. रॉबर्ट जे. व्हाइट (Dr. Robert J. White) और उनकी टीम ने एक बंदर के सिर का प्रत्यारोपण (हेड ट्रांसप्लांट) किया, जिसे चिकित्सा इतिहास में अब तक के सबसे विवादास्पद प्रयोगों में गिना जाता है.
कैसे हुआ यह प्रयोग?
डॉ. व्हाइट ने एक बंदर का सिर उसके शरीर से पूरी तरह अलग कर उसे एक अन्य बंदर के शरीर से जोड़ दिया. यह सर्जरी बेहद जटिल थी और इसमें कई घंटे लगे. ट्रांसप्लांट के बाद, बंदर होश में आ गया और उसने आंखें खोलकर चीजों को देखने, चेहरे के हावभाव बदलने जैसी सामान्य गतिविधियाँ कीं. हालांकि, उस समय की तकनीकी सीमाओं के कारण रीढ़ की हड्डी को जोड़ा नहीं जा सका, जिससे बंदर अपने नए शरीर को हिला नहीं सका.
क्या हुआ सर्जरी के बाद?
बंदर लगभग 9 दिन तक जीवित रहा, लेकिन शरीर द्वारा सिर को अस्वीकार करने के कारण उसकी मृत्यु हो गई. वैज्ञानिकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, लेकिन यह नैतिकता और पशु अधिकारों से जुड़े सवालों के घेरे में भी आ गई.
Monkey head transplant, explained
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— Massimo (@Rainmaker1973) March 22, 2025
वैज्ञानिक उपलब्धि या नैतिक सवाल?
यह प्रयोग चिकित्सा जगत में एक क्रांतिकारी कदम था, क्योंकि इससे यह प्रमाणित हुआ कि सिर का प्रत्यारोपण सैद्धांतिक रूप से संभव है. हालांकि, कई वैज्ञानिकों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे अमानवीय और अनैतिक बताया.
क्या इंसानों पर हेड ट्रांसप्लांट संभव है?
डॉ. व्हाइट ने यह दावा किया था कि भविष्य में इंसानों पर हेड ट्रांसप्लांट संभव हो सकता है. 2017 में एक इतालवी न्यूरोसर्जन डॉ. सर्जियो कैनावेरो (Dr. Sergio Canavero) ने इंसान के सिर के प्रत्यारोपण का दावा भी किया था, लेकिन अब तक ऐसा कोई सफल ट्रांसप्लांट नहीं हुआ है.
1970 का यह प्रयोग विज्ञान और नैतिकता के बीच की खाई को उजागर करता है. आज भी वैज्ञानिक रीढ़ की हड्डी को जोड़ने की तकनीक विकसित करने में जुटे हैं, जिससे भविष्य में सिर प्रत्यारोपण की कल्पना को वास्तविकता में बदला जा सके. हालांकि, यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या यह चिकित्सा विज्ञान की प्रगति होगी या नैतिकता के खिलाफ एक कदम?