
आईपीएल में बल्लेबाजों के सामने निढाल नजर आने वाले तेज गेंदबाज अब अपने थूक से गेंद को लहरा सकेंगे. आईपीएल की इस रियायत से आगे का रास्ता भी खुल सकता है.क्रिकेट, मुख्य रूप से बल्लेबाजी और गेंदबाजी का मुकाबला है. अच्छे बैट्समैन के सामने धारदार बॉलर हो तो, इस खेल की एक एक गेंद हरारत या उत्साह पैदा करती है. बल्ले से निकला एक खूबसूरत शॉट, कमेंट्रेटरों को अथाह तारीफ करने का मौका देता है. वहीं गेंदबाज के हाथ से छूटने वाली कोई एक गेंद, बल्लेबाज को पैवेलियन भेजकर उसे खेल का एक दर्शक भी बना सकती है.
लेकिन टी-20 क्रिकेट में बल्लेबाजी और तेज गेंदबाजी का यह मुकाबला फीका पड़ गया गया है. ज्यादातर टी-20 लीगों या टूर्नामेंटों में ऐसी पिच बनाई जाती है, जहां गेंदबाजों की कुटाई हो. टेस्ट और वनडे क्रिकेट में जहां तेज गेंदबाज सामने वाली टीम के शीर्ष बल्लेबाजों आउट करने की सोचते हैं, वहीं टी-20 में उनका आठ का इकोनॉमी रेट भी अच्छा मान लिया जाता है. इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पिछले 17 सत्रों में ही 10 बार ऐसे मौके आए जब सामने वाली टीम ने 20 ओवर में 250 का लक्ष्य भी पार कर लिया. 2024 के आईपीएल में तो चार बार 263 से ज्यादा रन बने.
लार या थूक पर प्रतिबंध का तेज गेंदबाजों पर असर
गेंदबाजों की इस दयनीय हालत के लिए सिर्फ पिचें ही जिम्मेदार नहीं हैं, कोविड के दौरान आए ने एक नियम ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई. महामारी के दौरान वायरस की रोकथाम के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट समिति (आईसीसी) ने गेंद पर थूक या लार लगाने को बैन लगा दिया. इस प्रतिबंध का सबसे बुरा नतीजा तेज गेंदबाजों पर पड़ा. 2020 में जिस वक्त ये बैन लगाया गया, तभी पाकिस्तान के पूर्व दिग्गज तेज गेंदबाज वसीम अकरम ने चेतावनी देते हुए कहा था कि ये प्रतिबंध "गेंदबाजों को रोबोट सा" बना देगा. सुल्तान ऑफ स्विंग कहे जाने वाले अकरम ने कहा, "मेरे लिए अजीब सी स्थिति है क्योंकि मैं लार से गेंद को चमकाते और स्विंग करते हुए ही बड़ा हुआ."
असल में पुराने दौर से ही तेज गेंदबाज गेंद की एक साइड को थूक या लार से चमकाते आए हैं. इस शाइनिंग से पुरानी गेंद, लेट स्विंग करने लगती है और जमे जमाए माहिर बल्लेबाज भी असहज होने लगते हैं.
बीसीसीआई के फैसले से तेज गेंदबाज खुश
लेकिन लार पर लगे प्रतिबंध के कारण टेस्ट, वनडे और टी-20 में कप्तान फास्ट बॉलरों को पुरानी गेंद थमाने से बचने लगे. अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने अपनी प्रीमियर लीग में इस नियम को रद्द कर दिया है. भारतीय न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा, "लार पर लगा बैन हटा दिया गया है. ज्यादातर कप्तान के इसके समर्थन में थे."
भारत के प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने एक अन्य बीसीसीआई अधिकारी का बयान छापा है. इसमें कहा गया है, "ये (आईपीएल) बीसीसीआई का एक घरेलू टूर्नामेंट है और इसीलिए हम यहां आईसीसी के दिशानिर्देशों से बाध्य नहीं हैं."
हाल ही में भारत के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने 50 ओवर के वनडे क्रिकेट से लार या थूक बैन हटाने की मांग की थी. चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान दुबई में टीम इंडिया के पेसर ने कहा, "हम लगातार इसकी अपील कर रहे हैं कि लार इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए. रिवर्स स्विंग की वजह से ये और दिलचस्प हो जाएगा."
चैंपियंस ट्रॉफी की चैंपियन टीम इंडिया
आईपीएल में इस प्रतिबंध को हटाने की भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शिराज ने तारीफ की है. लीग में गुजरात टाइटंस के लिए खेलने वाले शिराज ने कहा, "हम गेंदबाजों के लिए यह शानदार खबर है क्योंकि जब गेंद कुछ नहीं कर रही होती है तो उस समय गेंद पर लार लगाकर रिवर्स स्विंग कराने के मौके खोजे जा सकते हैं."
लौट सकेगा रिवर्स स्विंग का सुनहरा दौर?
क्रिकेट में तेज गेंद का लहराना कई बातों पर निर्भर करता है. आम तौर पर पिच पर जरा सी घास या नमी हो तो नई गेंद स्विंग करती है. बादल लगे हों तो स्विंग और बढ़िया मिलने लगता है. लेकिन जैसे जैसे गेंद घिसती है और पिच पुरानी होने लगती है, वैसे वैसे तेज गेंदबाजों के लिए स्विंग करना मुश्किल होने लगता है. इस चुनौती से निपटने के लिए 1980 के दशक में पाकिस्तान के तेज गेंदबाजों ने पुरानी गेंद को रिवर्स स्विंग कराने का तरीका निकाला.
इमरान खान, वसीम अकरम और वकार युनूस ने पुरानी गेंद के एक हिस्से को थूक या तेलीय पसीने से चमकाना शुरू किया. इसके बाद गेंद बिना चमकीली साइड की तरफ स्विंग करने लगती थी. बाद में पूरी दुनिया के गेंदबाज अपनी टीम के साथ ये तरीका इस्तेमाल करने लगे. रिवर्स स्विंग ने शोएब अख्तर, ब्रेट ली और शेन बॉन्ड जैसे सुपरफास्ट बॉलरों को भी गजब की ताकत दी.
शनिवार से शुरू हो रहे आईपीएल के नए सत्र के बाद आईसीसी भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जारी इस प्रतिबंध की समीक्षा कर सकती है.
ओएसजे/सीके (एएफपी)