दिल्ली: 15 अगस्त से पहले भारत देश अंग्रेजों के हाथों गुलाम था. महात्मा गांधी, भगत सिहं दूसरे अन्य आंदोलनकारियों के अथक प्रयास के चलते इस मुल्क को अंग्रेजों से आजादी मिली. महात्मा गांधी देश को आजाद करवाने के लिए आंदोलन नही छेड़ते तो आज भी पूरा देश अंगेजों के हाथों गुलाम रहता. देश को आजादी मिलने के बाद इस दिन का पूरे देशवासियों को बेसर्बी से इंतजार होता है. इस दिन लोग आजादी के जश्न को लेकर तिरंगा फहराते है. लेकिन शायद कुछ लोगों को नही मालूम होगा कि देश के दो ऐसे शहर हैं जहां पर 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस लोग नही मनाते हैं बल्कि 18 अगस्त को मनाते है.
क्यों नही मनाते है 15 दिवस को स्वतंत्रता दिवस
भारत के जिन दो शहरों में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस नही मनाया जाता है. वह शहर है पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के रामघाट और कृष्णानगर शहर हैं जहां पर स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को नहीं बल्कि 18 अगस्त को मनाया जाता है. इसके पीछे की वजह है कि 15 अगस्त को भारत को जब आजादी मिली थी. उसके एक दिन पहले भारत से पाकिस्तान का बंटवारा होने के दौरान इन दोनों शहरों को पाकिस्तान में शामिल कर दिया गया था. इन दोनों शहरों में हिंदू समुदाय के लोग रहते है. इन दोनों शहरों को पाकिस्तान में शामिल करने को लेकर इन लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. जिसके बाद इन दोनों शहरों को 18 अगस्त को आजादी मिली.
बता दे कि इन दोनों शहरों को 18 अगस्त को आजादी मिलने के बाद भी 1991 तक ये दोनों शहर 18 अगस्त को झंडा नही फहरा पाते थे. क्योंकि संविधान के अनुसार देश में 15 अगस्त, 23 व 26 जनवरी के अलावा झंडा फहराने की अनुमति नहीं है . लेकिन यहां के लोगों के एक लंबे लड़ाई के बाद 1991 में इन दोनों शहरो में 18 अगस्त को झंडा फहराने की आजादी मिली. जिसके बाद से इन दोनों शहरों में 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है.