Diwali Celebrations 2021: मनायें इको फ्रेंडली दीपावली! ताकि दीवाली की सच्ची खुशियां हासिल करने के साथ कोरोना से भी रहें सुरक्षित!
दिवाली (Photo: Wikimedia Commons)

गत वर्ष दीपोत्सवी पर कोविड-19 का ग्रहण लगने से अधिकांश घरों में खुशियों के दीपक प्रज्जवलित नहीं हो सके. कोई कोरोना संक्रमण से तो कोई उसके कारण लगे लॉक डाउन के कारण दीपावली सेलीब्रेशन से महरूम था. हालांकि अभी भी हम पूरी तरह से कोरोना मुक्त नहीं हुए हैं. हमें काफी सावधानियां बरतते हुए दीपावली मनानी होगी. हम दीपावली के दीप अवश्य प्रज्जवलित करें, आतिशबाजियां भी छुड़ायें और एक दूसरे को हैप्पी दीपावली के उपहारों का आदान-प्रदान भी करें, लेकिन खुद को सुरक्षित रखते हुए. यहां हम बात करेंगे कि इस वर्ष हमें किन बातों का ध्यान रखते हुए दीवाली मनानी चाहिए ताकि कोरोना की तीसरी लहर को रोका जा सके.

मिट्टी निर्मित दीये और गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां ही खरीदेंते

इस वर्ष भी बाजार में चाइना निर्मित प्लास्टर ऑफ पेरिस अथवा पत्थर निर्मित गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमाएं एवं दीये बहुतायत बेचे जा रहे हैं, यह पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक हैं. हमें मिट्टी निर्मित गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां ही घर लाकर पूजा करनी चाहिए. इससे हम पर्यावरण की तो रक्षा करेंगे ही, साथ ही उन गरीबों के घर भी दीप प्रज्जवलित करने में मदद करेंगे, जिनसे ये दीप एवं मूर्तियां खरीदेंगे. हमें कोरोना उत्पादक चाइना प्रोडक्ट का टोटल बायकॉट करना चाहिए.

इको फ्रेंडली पटाखे!

दीपावली के कुछ दिन पहले से ही वातावरण में दुषित हवाएं घुलने लगी हैं. ऐसे में अगर हम धुएं और तेज आवाज वाले पटाखे छुड़ायेंगे तो ये हम सभी के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं. ये सरकारी मानक डेसिबल की तुलना में ज्यादा होते हैं. इनसे सुरक्षित रहने के लिए कुछ भारतीय पटाखा उत्पादक कंपनियों ने बाजार में इको फ्रेंडली पटाखे भी उतारे हैं, जो कम धुआं के साथ-साथ मापक डेसिबल के अनुरूप आवाज वाले होते हैं. इनसे धुआँ के बजाय रंग-बिरंगे कागज के टुकड़ों के फव्वारे निकलते हैं, जो देखने में आकर्षक लगते हैं. इसके तहत इन दिनों बाजार में मैजिक पाइप, खुशी, सुपर सिक्स, मैजिक अनार, रंग बरसात, सुप्रीम कलर नाम से खूब बिक रहे हैं. ये इको पटाखे 5 रूपये से लेकर 5 सौ रूपये तक की कीमत में उपलब्ध हैं. यह भी पढ़ें : Diwali 2021: दिवाली के खास मौके पर 10 क्विंटल फूलों से सजाया गया बद्रीनाथ मंदिर, देखें मनमोहक वीडियो

ऑर्गैनिक रंगोली!

दीपावली वस्तुतः रंगोली का पर्व भी है. मान्यता है कि जिस घर के मुख्यद्वार पर जितनी आकर्षक रंगोली सजती है, माँ लक्ष्मी उसी घर में प्रवेश करती हैं. इसलिए इस दिन अधिकांश घरों में रंगोली सजाने की परंपरा निभाई जाती है. कई जगहों पर तो रंगोली की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं, लेकिन गत वर्ष कोरोना महामारी के कारण ऐसे सार्वजनिक आयोजन नहीं हुए. बहरहाल अगर देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए आप भी रंगोली सजाने की तैयारियां कर रहे हैं तो बेहतर होगा कि रासायनिक रंगों वाले पाउडरों के बजाय आर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें, ताकि वातावरण को नुकसान पहुंचाने से रोक सकें. आप चाहें तो फूलों, पत्तियों और दीपों से भी आकर्षक और सुरक्षित रंगोली बना सकते हैं.

कोविड की गाइड लाइनों का पालन जरूर करें

केरल एवं महाराष्ट्र को अपवाद मानें तो देश भर में कोरोना महामारी का असर कम हुआ है. (यद्यपि यहां भी मामले कम हुए हैं) संयुक्त प्रयासों से ही हम कोविड मामलों पर नियंत्रण रखने में सफल हुए हैं. लेकिन कोविड खत्म नहीं हुआ है. यह अभी भी वातावरण में मौजूद है. इंग्लैंड, चीन, रूस, सिंगापुर जैसे विकसित देशों में कोविड वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद भी कोरोना ने करवट बदला है. यह भी सच है कि पर्वों में आपेक्षित सावधानियां नहीं बरतने से भारत में भी कोरोना की दूसरी लहर कहर बरपा चुकी है. इसलिए दीपावली पर हमें कोविड के हर नियमों हाथ धोने, मास्क लगाने एवं सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा.