सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में आज बड़े फैसलों का दिन है और पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं. सुप्रीम कोर्ट आज तीन बड़े मामलों पर अपना फैसला सुनाने वाली है. इन तीन मामलों में पहला राफेल लड़ाकू विमान सौदा, दूसरा राहुल गांधी के बयान चौकीदार चोर है और तीसरा सबरीमाला (Sabarimala temple) मामले पर सुनाने जा रही है.सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले अयोध्या मामले पर अपना फैसला सुनाया था. जिसमें मंदिर बनाने पर मुहर लगी और मस्जिद के 5 एकड़ की जमीन देने की बात कही गई. वहीं कर्नाटक विधायक विवाद और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ऑफिस में आरटीआई (RTI) के मामले पर देश की सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सभी की नजर हैं.
बता दें कि अदालत राफेल मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा कार्यकर्ता वकील प्रशांत भूषण समेत कुछ अन्य की याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी जिनमें पिछले साल के 14 दिसंबर के उस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गयी है जिसमें फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के केंद्र के राफेल सौदे को क्लीन चिट दी गयी थी. CJI रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसफ की पीठ ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले पर 10 मई को सुनवाई पूरी की थी.
#Today in Supreme Court
- SC to pronounce judgement on review petitions against its earlier verdict allowing entry of women of all age groups in Sabarimala temple.
- SC to pronounce verdict on review petitions against its earlier judgement upholding the Rafale deal. pic.twitter.com/QK16xjzrmH
— ANI (@ANI) November 14, 2019
वहीं सुप्रीम कोर्ट राफेल मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में ‘चौकीदार चोर है’ टिप्पणी के लिये कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ लंबित अवमानना मामले में आज अपने फैसला सुनाने वाली है. राहुल गांधी उस वक्त कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष थे और उन्होंने पीठ से कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संबंधित अपनी टिप्पणी गलत तरीके से शीर्ष अदालत के हवाले से कहने पर वह पहले ही बिना शर्त माफी मांग चुके हैं. राहुल गांधी ने आठ मई को राफेल फैसले में चौकीदार चोर है की टिप्पणी शीर्ष अदालत के हवाले से कहने के लिये पीठ से बिना शर्त माफी मांग ली थी. यह ही पढ़ें:- अयोध्या फैसले पर झूठ फैलाने के लिए भारत ने पाकिस्तान को लताड़ा, UNESCO में दिया करारा जवाब.
सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं का प्रवेश वर्जित होने संबंधी व्यवस्था को असंवैधानिक और लैंगिक तौर पर पक्षपातपूर्ण करार देते हुये 28 सितंबर, 2018 को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था. इसी मसले पर सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाओं पर सुनाएगी.