VIDEO: पाकिस्तान के जुल्म के खिलाफ POK में विद्रोह, पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प, UN से हस्तक्षेप की मांग
(Photo : X)

पाक अधिकृत कश्मीर में विरोध प्रदर्शन, पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प, देखें वीडियो

पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके): पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के दादयाल में बढ़ती महंगाई और बिजली कटौती के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई. मीरपुर जिले में हुई इस झड़प में कई लोग घायल हो गए, जिसके बाद पाकिस्तानी अधिकारियों ने कर्फ्यू लगा दिया है.

एफसी और रेंजर सैनिकों की तैनाती पर आक्रोश

मुजफ्फराबाद में एफसी और रेंजर सैनिकों की तैनाती को लेकर दर्जनों प्रदर्शनकारियों ने आक्रोश व्यक्त किया और पुलिस को खदेड़ दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मीरपुर में स्कूली छात्रों पर भी आंसू गैस के गोले दागे गए. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस बर्बरता की निंदा करते हुए पाकिस्तानी संघीय अधिकारियों द्वारा की जा रही "राज्य प्रायोजित हिंसा" को धारा 144 लागू करने की एक चाल और 11 मई को मुजफ्फराबाद में विधानसभा के बाहर होने वाले विरोध प्रदर्शन को कुचलने की तैयारी बताया है.

धारा 144 और गिरफ्तारियां

यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (UKPNP) ने पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्ज़ाए गए क्षेत्र में कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और धारा 144 लगाए जाने की निंदा की है. UKPNP ने अली शमरीज़ सहित कई कार्यकर्ताओं की हालिया गिरफ्तारी और पीओके में धारा 144 लगाए जाने की कड़ी निंदा की है. मानवाधिकार समूहों ने उन कैदियों की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है जिन्हें कथित तौर पर पाक अधिकारियों द्वारा बेरहमी से पीटा गया और प्रताड़ित किया गया.

UKPNP ने की रिहाई की मांग

UKPNP के नेता शौकत अली कश्मीरी और नासिर अजीज खान ने शांतिपूर्ण कार्यकर्ताओं पर की जा रही कार्रवाई और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती पर निराशा व्यक्त की है. UKPNP नेताओं ने सभी गिरफ्तार कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई की मांग की है और संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों से पीओके में बिगड़ती स्थिति को संबोधित करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.

भारतीय के विभाजन के बाद से कश्मीर, पाकिस्तान और भारत के बीच विवाद का मुद्दा बना हुआ है. पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) के अनुसार, लगातार हो रहे मानवाधिकार हनन के बीच अवैध रूप से कब्जे वाले क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है.