
What Is Olo Colour: कभी आपने सोचा है कि वो कौन सा रंग हो सकता है जिसे इंसान की आंखों ने आज तक नहीं देखा? कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के वैज्ञानिकों ने इस सवाल का जवाब ढूंढ निकाला है. उन्होंने एक बिल्कुल नया रंग ‘Olo’ (ओलो) देखा है, जो हमारी सामान्य दृश्य क्षमता की सीमाओं से परे है. यह रंग एक बेहद चमकीला और गहराई लिए हुए नीला-हरा (Blue-Green) है, लेकिन इससे पहले किसी इंसान ने ऐसा रंग नहीं देखा था.
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यहां आपको राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, व्यापार और खेल से जुड़ी ताजा और महत्वपूर्ण खबरें मिलेंगी, जो आप अपनी असेंबली की शुरुआत में साझा कर सकते हैं. तो चलिए, 19 अप्रैल 2025 (Today's Hindi News Headline for School Assembly) की असेंबली की शुरुआत करते हैं दिन की इन मुख्य सुर्खियों से.
राष्ट्रीय समाचार (News for School Assembly)
वैज्ञानिकों ने इस रंग को दिखाने के लिए एक बेहद खास तकनीक का इस्तेमाल किया. इसे “Oz टेक्नीक” कहा गया, जिसमें लेजर तकनीक का प्रयोग कर मानव आंख की रेटिना के कुछ खास हिस्सों को सीधे उत्तेजित (stimulate) किया गया. खास बात यह है कि उन्होंने आंख के उन M-cones को लक्षित किया, जो सामान्यतः हरे रंग के प्रति संवेदनशील होते हैं. लेकिन इस बार, इन्हें इस तरह उत्तेजित किया गया कि वे केवल अपनी प्रतिक्रिया दें, बिना अन्य शंकुओं (Cones) की मिलावट के.
Olo रंग कैसा दिखता है?
इस प्रयोग में शामिल पांच प्रतिभागियों के अनुसार, Olo रंग इतना चमकदार और तीव्र था कि सामान्य हरे रंग (जैसे लेजर पॉइंटर की रोशनी) भी इसके सामने फीके लगने लगे. यह रंग नीले और हरे का मिश्रण जरूर लगता है, लेकिन इसकी गहराई और चमक किसी भी ज्ञात रंग से कहीं ज्यादा है.
क्यों रखा गया इसका नाम 'Olo'?
वैज्ञानिकों ने इस रंग का नाम ‘Olo’ इसलिए रखा क्योंकि यह न सिर्फ नया है, बल्कि इसकी कोई तुलना किसी अन्य रंग से नहीं की जा सकती. वहीं, इस तकनीक को "Oz" नाम दिया गया, जो मशहूर फिल्म Wizard of Oz में हरे रंग की चश्मे से दिखने वाली दुनिया की याद दिलाता है – यानी दृष्टि को नया रूप देना.
केवल किनारे से दिखता है ये रंग
फिलहाल, यह रंग केवल आंखों के किनारों (Peripheral Vision) में देखा जा सकता है, क्योंकि आंखों के मध्य भाग (fovea) को इतनी सटीकता से उत्तेजित करने की तकनीक अब भी विकास में है. लेकिन फिर भी यह खोज दृष्टि विज्ञान (Visual Science) में एक क्रांति के समान है.
किस लिए हो सकती है इसका उपयोग?
‘Olo’ रंग की खोज सिर्फ एक चमत्कारी रंग अनुभव नहीं है, बल्कि यह कई बीमारियों के इलाज में नई संभावनाओं का रास्ता खोल सकती है:
- कलर ब्लाइंडनेस (रंगांधता) के इलाज में मदद.
- रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा जैसे रेटिना रोगों को बेहतर समझना.
- ब्रेन और आंख के रंगों की व्याख्या के बीच संबंध को समझना.
क्या भविष्य में हम सभी देख पाएंगे 'Olo'?
भविष्य में जब यह तकनीक और अधिक विकसित होगी, तब शायद हम सभी को यह अनदेखा रंग देखने का अवसर मिलेगा. फिलहाल यह केवल कुछ वैज्ञानिकों और चुनिंदा प्रतिभागियों के अनुभव तक सीमित है.