
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने 24 अप्रैल 2025, गुरुवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है. इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें एक विदेशी नागरिक भी शामिल था, और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए. इस त्रासदी के बाद देश भर में आक्रोश का माहौल है और सरकार ने सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को साथ लेकर चलने का निर्णय लिया है. सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से सीधे संपर्क कर रहे हैं ताकि सभी को इस गंभीर मुद्दे पर विश्वास में लिया जा सके. यह कदम राष्ट्रीय एकता और आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक रणनीति तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है.
प्रधानमंत्री ने सऊदी दौरा बीच में छोड़ा, CCS की बैठक बुलाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का अपना विदेश दौरा बीच में छोड़ते हुए बुधवार को दिल्ली लौटकर सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCS) की आपात बैठक बुलाई. इस बैठक में कई कड़े निर्णय लिए गए, जिनमें पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को स्थगित करना, पाकिस्तानी नागरिकों को जारी वीज़ा रद्द करना और भारत-पाकिस्तान के उच्चायुक्त कार्यालयों में कटौती करना शामिल है.
राजनीतिक दलों ने की एकजुटता की मांग
CCS बैठक में ही सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला किया गया, ताकि आतंकवाद के मुद्दे पर सभी दलों को साथ लिया जा सके. कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार रात ही अमित शाह से बात कर चिंता व्यक्त की थी. वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) समेत कई दलों ने औपचारिक रूप से सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की थी.
एकजुटता का संदेश: आतंक के खिलाफ साझा मोर्चा
सरकार का यह कदम इस बात का संकेत है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर एकजुट रहना चाहता है. सर्वदलीय बैठक का मकसद न केवल राजनीतिक दलों को सूचित करना है, बल्कि वैश्विक मंच पर यह दिखाना भी है कि भारत आतंकी हमलों के प्रति एक सख्त, संगठित और ठोस रुख रखता है.